RBI ने अब बैंकों के लिए SVRAs खोलने की पूर्व-अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया है। इससे रुपया-आधारित व्यापारिक लेन-देन में तेजी आएगी और भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा मिलेगा।
वोस्ट्रो और नोस्ट्रो एकाउंट्स
- वोस्ट्रो एकाउंट: वोस्ट्रो खाते घरेलू बैंक में किसी विदेशी बैंक के ऐसे खाते हैं, जो घरेलू मुद्रा (भारत के मामले में रूपये में) में खोले जाते हैं।
- उदाहरण: यदि कोई अमेरिकी बैंक (सिटीबैंक) एक भारतीय बैंक (SBI) में भारतीय रुपये (INR) में खाता रखता है, तो यह SBI का वोस्ट्रो खाता कहलाएगा।
- नोस्ट्रो एकाउंट: यह एक घरेलू बैंक का विदेशी बैंक में उस देश की मुद्रा में खोला गया खाता होता है।
मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीयकरण
यह वह प्रक्रिया है, जिसमें किसी देश की राष्ट्रीय मुद्रा का उपयोग उसकी सीमाओं से बाहर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वित्त और एक आरक्षित मुद्रा के रूप में किया जाता है।
मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लाभ
- कम विदेशी मुद्रा भंडार की आवश्यकता: बाहरी आर्थिक जोखिमों से निपटने के लिए परिवर्तनीय मुद्राओं की अधिक ज़रूरत नहीं रह जाएगी।
- वित्तीय बाजार का विकास: अधिक वित्तीय साधनों की उपलब्धता से घरेलू वित्तीय बाजार का विस्तार और गहराई बढ़ती है।
- आर्थिक स्वायत्तता: सरकारें अपने घाटे को विदेशी मुद्रा में ऋण की बजाय अपनी मुद्रा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऋण जारी करके पूरा कर सकती हैं।
- विनिमय दर जोखिम में कमी: निर्यातक और आयातक अपने-अपने देश की मुद्रा में बिलिंग एवं लेन-देन कर सकते हैं। इससे मुद्रा के मूल्य में हुए उतार-चढ़ाव का असर कम होगा।
रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए उठाए गए अन्य कदम
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