इन नए विधेयकों का उद्देश्य आयकर कानूनों का समेकन, सरलीकरण व संशोधन करना है। साथ ही, आयकर अधिनियम, 1961 को समाप्त करना है।
आयकर विधेयक, 2025
- उद्देश्य: 1961 के अधिनियम में पिछले 60 सालों में हुए कई संशोधनों के कारण यह जटिल और बोझिल हो गया है। इससे प्रशासनिक दक्षता कम हो गई है। आयकर विधेयक, 2025 इस आयकर कानून को सरल और आधुनिक बनाने का प्रयास करता है।
- मुख्य प्रावधान:
- अब कंपनियों को भी कटौती (Deduction) का लाभ मिलेगा।
- फैमिली पेंशन और ग्रेच्युटी कटौती का लाभ परिवार के सदस्यों को भी मिलेगा।
- न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) और वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT)-
- इन्हें दो अलग-अलग उप-खंडों में बांटा गया है।
- AMT केवल उन गैर-कॉरपोरेट संस्थाओं पर लागू होगा, जो कटौती का दावा करती हैं।
- केवल पूंजीगत लाभ से आय वाली सीमित देयता भागीदारियां (LLPs), अगर किसी कटौती का दावा नहीं करती, तो AMT से मुक्त रहेंगी।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था को समर्थन: अब उन पेशेवरों के लिए इलेक्ट्रॉनिक भुगतान मोड अनिवार्य कर दिया गया है, जिनकी प्राप्तियां (Receipts) ₹50 करोड़ से अधिक हैं।
- कर संबंधी प्रावधानों की भाषा को सरल बनाया गया: प्रावधान आसान भाषा में लिखे गए हैं और क्रॉस-रेफरेंसिंग बेहतर की गई है।
- अपडेटेड परिभाषाएं: जैसे “पूंजीगत परिसंपत्ति”, “सूक्ष्म और लघु उद्यम”, “लाभकारी स्वामी” आदि की परिभाषाओं को अपडेट किया गया है।
कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025
- संशोधन: आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2025 में बदलाव।
- उद्देश्य: नई परिस्थितियों के अनुसार आयकर में छूट और लाभ प्रदान करना।
- मुख्य सुधार:
- एकीकृत पेंशन योजना (UPS): नई पेंशन योजना (NPS) के लाभों के अनुसार कर छूट दी जाएगी।
- विदेशी निवेश राहत: सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड और उसकी सहायक कंपनियों को प्रत्यक्ष कर राहत।
- सर्च केस: ब्लॉक असेसमेंट प्रक्रिया में लंबित आकलन/ पुनः आकलन के निपटान को सरल बनाना।