भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) का अवलोकन
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपायों का प्रस्ताव रखा है, जिसमें कर प्रोत्साहन, बेहतर बुनियादी ढाँचे और कौशल विकास की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। लगभग आधे वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) के भारत में स्थित होने के कारण, यह क्षेत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और इसमें आगे भी विकास की संभावनाएँ हैं।
प्रमुख योगदान और वर्तमान रुझान
- भारत में लगभग 1,800 GCC हैं, जिनकी संख्या 2030 तक बढ़कर 5,000 हो जाने की उम्मीद है।
- GCC क्षेत्र प्रत्यक्ष सकल मूल्य संवर्धन (GVA) के रूप में लगभग 68 बिलियन डॉलर का योगदान देता है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1.8% है।
- यह क्षेत्र भारत के बैक ऑफिस से उच्च तकनीक सेवाओं के केंद्र में परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण है, जो तकनीकी हार्डवेयर में चीन की भूमिका को प्रतिबिंबित करता है।
जनसांख्यिकीय और आर्थिक प्रभाव
- भारत स्थित GCC में 2 मिलियन से अधिक पेशेवर कार्यरत हैं तथा वित्त वर्ष 2025 तक संभावित शुद्ध रोजगार प्रभाव लगभग 10.4 मिलियन तक पहुंच जाएगा।
- GCC में प्रत्येक प्रत्यक्ष रोजगार, संबद्ध सेवाओं में एक अप्रत्यक्ष रोजगार तथा आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से तीन प्रेरित रोजगार उत्पन्न करता है।
- प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और प्रेरित आर्थिक प्रभावों के कारण यह क्षेत्र वित्त वर्ष 30 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 470-600 बिलियन डॉलर का योगदान कर सकता है।
नीतिगत सिफारिशें और चुनौतियाँ
- भारत को GCC को बढ़ावा देने के लिए उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को लक्ष्य बनाना चाहिए, जिनमें BFSI, खुदरा, ऑटोमोटिव और प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
- रियायती कर व्यवस्थाओं और कर छुट्टियों सहित दूरदर्शी कर प्रोत्साहनों को संस्थागत रूप देने की सिफारिश की जाती है।
- सुव्यवस्थित शासन के लिए बहु-स्तरीय विनियामक ढांचे के साथ डिजिटल आर्थिक क्षेत्रों (DEZs) के विकास का सुझाव दिया गया है।
- कौशल अंतराल को संबोधित करना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से AI प्रगति के कारण, 2023 के 25% से 2028 तक 29% तक बढ़ने का अनुमान है।
- रोजगार संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए उद्योग-अकादमिक सहयोग और रिस्किलिंग रणनीतियों में सुधार करना महत्वपूर्ण है।
IT सेवाओं के ओवरलैप के संबंध में चिंताएँ
GCC संचालन और पारंपरिक IT सेवाओं के बीच ओवरलैप को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं, जिससे पारंपरिक IT सेवाओं की निर्यात क्षमताएँ प्रभावित हो सकती हैं। नीति-निर्माता इस बात से चिंतित हैं कि GCC में वृद्धि कार्यों में ओवरलैपिंग या पर्याप्त बौद्धिक संपदा सृजन में विफलता के कारण घरेलू IT फर्मों को नुकसान पहुँचा सकती है।
रणनीतिक सिफारिशें
- रणनीतिक सेवा क्षेत्रों के लिए लक्षित रियायती कर व्यवस्था लागू करना।
- वैश्विक मानदंडों के अनुरूप सुरक्षित बंदरगाह मार्कअप को पुनः निर्धारित करना तथा GCC के लिए पात्रता को व्यापक बनाना।
- कार्यशील पूंजी की बाधाओं को दूर करने के लिए GCC के लिए GST में छूट प्रदान करना।
- प्रोत्साहन और विनियामक समर्थन के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास तथा बौद्धिक संपदा सृजन के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देना।