स्वास्थ्य एवं पोषण में भारत की सतत विकास लक्ष्य प्रगति और चुनौतियां
इस वर्ष जून में, भारत ने सतत विकास लक्ष्य (SDG) सूचकांक में 167 देशों में से 99वां स्थान प्राप्त किया, जो अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। यह 2024 में 109वें स्थान से उल्लेखनीय सुधार दर्शाता है। यह सब बुनियादी सेवाओं और अवसंरचना में हुई प्रगति के कारण संभव हुआ है। हालाँकि, चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, खासकर स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में, खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में।
SDG 3: स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना
- लक्ष्य: सभी आयुवर्ग के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना तथा कल्याण को बढ़ावा देना।
- वर्तमान मुद्दे:
- मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 97 मृत्यु है, जो 2030 के लक्ष्य 70 से कम है।
- पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 32 है, जबकि लक्ष्य 25 का है।
- जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष है, जो 73.63 वर्ष के लक्ष्य से कम है।
- स्वास्थ्य देखभाल पर व्यक्तिगत व्यय कुल उपभोग का 13% है, जो 7.83% के लक्ष्य से अधिक है।
- टीकाकरण कवरेज 93.23% है, जो अभी तक सार्वभौमिक नहीं है।
अंतराल के कारण
- खराब अवसंरचना और आर्थिक कारकों के कारण गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच का अभाव।
- गैर-आर्थिक कारक जैसे खराब पोषण, स्वच्छता, सफाई और जीवन-शैली विकल्प।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सांस्कृतिक प्रथाएं और कलंक।
सुधार के लिए रणनीतियाँ
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा: इससे स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले व्यय में कमी आ सकती है तथा स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार हो सकता है।
- उच्च गुणवत्ता वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र: प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक देखभाल का समन्वय आवश्यक है।
- डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों का उपयोग: टेलीमेडिसिन जैसे उपकरण, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, पहुंच संबंधी अंतराल को पाट सकते हैं।
निवारक उपाय
- पोषण, स्वच्छता, प्रजनन स्वास्थ्य, सड़क सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर स्कूली बच्चों के लिए स्वास्थ्य शिक्षा।
- दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए युवावस्था में ही स्वास्थ्य संबंधी आदतें विकसित करना।
वैश्विक उदाहरण
- फिनलैंड: स्कूल-आधारित स्वास्थ्य सुधारों से हृदय संबंधी बीमारियों में कमी आई।
- जापान: अनिवार्य स्वास्थ्य शिक्षा से स्वच्छता और जीवन प्रत्याशा में सुधार हुआ।
नीतिगत सिफारिशें
- स्कूल पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करें।
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में निवेश करें।
सामुदायिक भागीदारी
- अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल के पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य संबंधी विषयों को शामिल किया जाए।
यद्यपि भारत की बेहतर सतत विकास लक्ष्य रैंकिंग उत्साहजनक है, फिर भी 2030 तक वैश्विक लक्ष्यों में से केवल 17% ही लक्ष्य प्राप्त हो पाए हैं। युवाओं को स्वस्थ व्यवहार के बारे में शिक्षित करना तथा स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करना, विकसित भारत 2047 की दिशा में सतत प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।