सुर्ख़ियों में क्यों?
प्रधान मंत्री ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) पहल की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य भारतीय कृषि को अधिक उत्पादक, संधारणीय और किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी बनाना है।
प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) के बारे में
- इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 के दौरान की गई थी। साथ ही, यह नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित है।
- यह योजना 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा कृषि योजनाओं को समेकित करती है, जिनमें प्रमुख हैं:
- प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) – नकद हस्तांतरण,
- प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) – फसल बीमा,
- प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) – सिंचाई, आदि।
- इस योजना में राज्य-स्तरीय योजनाएं और निजी क्षेत्रक के साथ स्थानीय भागीदारी भी शामिल होंगी।
- उद्देश्य: 1.7 करोड़ किसानों को सहायता प्रदान करना, विशेष रूप से लघु एवं सीमांत किसानों को, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। ये किसान भारत की कुल कृषि में संलग्न आबादी का लगभग 86% हैं (आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार)।
- मंत्रालय: कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय।
- अवधि: 6 वर्ष (2025-26 से 2030-31 तक)।
- वित्तीय परिव्यय: 6 वर्षों के लिए ₹24,000 करोड़ के वार्षिक बजट के साथ कुल ₹1.44 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है।
- इस धन राशि में 40% सब्सिडी के लिए, 30% अवसंरचना (भंडारण, सिंचाई) के लिए, 20% ऋण के लिए और 10% प्रशिक्षण और बाजार सहायता के लिए निर्धारित है।
- कवरेज: 100 अल्प-प्रदर्शन करने वाले जिले, जहाँ फसल उपज निम्न है, जल की कमी है और संसाधनों की उपलब्धता सीमित है। प्रत्येक राज्य से न्यूनतम 1 जिला शामिल किया जाएगा।
- इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 12 जिले शामिल होंगे।
- फोकस क्षेत्र: ऐसे क्षेत्र जहां फसल उपज कम है (उदाहरण. जहां गेहूं की उपज राष्ट्रीय औसत 3.5 टन प्रति हेक्टेयर से कम है ), फसल सघनता मध्यम है (प्रति वर्ष 1.55 से कम फसल चक्र) तथा ऋण सुविधाओं तक पहुँच सीमित है।
- लाभार्थी: लघु एवं सीमांत किसान, महिला किसान, आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने वाले/ कृषि-व्यवसाय आरंभ करने वाले/ मूल्य-संवर्धित उत्पाद उद्यम शुरू करने वाले युवा किसान, निम्न उत्पादकता वाले क्षेत्रों के किसान, किसान उत्पादक संगठन (FPOs) और संबद्ध क्षेत्रक के श्रमिकों को इस योजना का लाभ प्राप्त होगा।
- PMDDKY के अंतर्गत कृषि योजनाओं के समेकन का महत्व: इससे दोहराव और अक्षमताओं का समाधान होगा।
- कृषि क्षेत्र में 45% पूंजीगत व्यय वास्तव में परिसंपत्ति निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है, जो निम्न व्यय दक्षता को दर्शाता है।
- जल आपूर्ति, परिवहन आदि क्षेत्रों में पूंजीगत व्यय का 75% से अधिक हिस्सा परिसंपत्ति निर्माण में जाता है।

प्रमुख लाभ एवं उनके प्रभाव | ||
पहलू | लाभ | प्रभाव |
फसल उपज |
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वित्तीय सहायता |
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भंडारण |
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सिंचाई |
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बाजार तक पहुंच |
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आधुनिक कौशल और वैश्विक संपर्क |
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योजना की संरचनात्मक डिजाइन और संस्थागत तंत्र
- राष्ट्रीय स्तर पर: एक राष्ट्रीय संचालन समिति द्वारा योजना की निगरानी की जाएगी।
- केंद्रीय स्तर पर दो टीमों का गठन किया जाएगा: एक केंद्रीय मंत्रियों के अधीन तथा दूसरी सचिवों और विभागीय अधिकारियों के अधीन।
- राज्य स्तर पर: नोडल समितियां निगरानी करेंगी।
- जिला स्तर पर: जिला कलेक्टरों के नेतृत्व में जिला धन-धान्य समितियां निगरानी करेंगी।
- जिला-स्तरीय योजनाएं जिला कलेक्टरों द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों और नीति आयोग के सहयोग से तैयार की जाएगी।
- पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु डिजिटल डैशबोर्ड, किसान ऐप और जिला रैंकिंग प्रणाली (117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों - KPIs) का उपयोग किया जाएगा।
- प्रत्येक जिले के लिए केंद्रीय नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। वे नियमित रूप से क्षेत्रीय निरीक्षण करेंगे, प्रगति की निगरानी करेंगे और स्थानीय टीमों के साथ समन्वय स्थापित करेंगे।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, योजनाओं के संविलयन (Convergence), डेटा-आधारित नियोजन और संसाधनों के सर्वोत्तम (Optimal) उपयोग को सुनिश्चित करती है। यह योजना एकीकृत कृषि विकास, उत्पादकता वृद्धि तथा कृषक कल्याण को प्रोत्साहित करती है, जिससे समग्र, संधारणीय और प्रौद्योगिकी-सक्षम ग्रामीण रूपांतरण को साकार किया जा सके।