साइबर अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention Against Cybercrime) | Current Affairs | Vision IAS
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साइबर अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention Against Cybercrime)

12 Nov 2025
1 min

In Summary

यह सम्मेलन साइबर अपराध से निपटने, अपराधों का विस्तार करने, पीड़ितों का समर्थन करने, संप्रभुता का सम्मान करने और बहुपक्षीय प्रयासों के माध्यम से उभरते डिजिटल खतरों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है। भारत ने अभी तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

In Summary

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 72 देशों ने हनोई, वियतनाम में साइबर अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अभिसमय पर हस्ताक्षर किए हैं।

साइबर अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के बारे में

  • इस अभिसमय को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 24 दिसंबर, 2024 को अपनाया गया था।
  • यह अभिसमय कम-से-कम 40 हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्रों के अनुसमर्थन के 90 दिन बाद लागू हो गा।
    • इस अभिसमय पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया 31 दिसंबर 2026 तक खुली रहेंगी।
    • भारत ने अभी तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) ने इस अभिसमय पर वार्ताओं के आयोजन के लिए सचिवालय के रूप में कार्य किया।
  • साइबर अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अभिसमय सभी गंभीर अपराधों के लिए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संग्रह, साझाकरण और उपयोग हेतु पहला सार्वभौमिक कानूनी रूप से बाध्यकारी फ्रेमवर्क है।
    • यूरोपीय परिषद द्वारा तैयार बुडापेस्ट साइबर अपराध अभिसमय (2001) साइबर अपराधों से निपटने और सीमा-पार सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि थी।
    • रूस और चीन जैसे कई देशों ने बुडापेस्ट अभिसमय को अस्वीकार कर दिया है और लंबे समय से एक नए अंतर्राष्ट्रीय साइबर अपराध अभिसमय की मांग कर रहे हैं।

साइबर अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के मुख्य बिंदु 

  • साइबर अपराध के दायरे का विस्तार: यह साइबर तकनीकों पर आधारित अपराधों के साथ-साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी, ऑनलाइन बाल यौन शोषण, अंतरंग छवियों को बिना-सहमति के प्रसारित करने आदि से जुड़े कृत्यों को अपराध के रूप में सूचीबद्ध करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: इसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 24/7 नेटवर्क स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।
  • संप्रभुता की रक्षा: पक्षकार देश इस अभिसमय के तहत अपने दायित्वों का निर्वहन अन्य देशों की संप्रभु समानता और क्षेत्रीय अखंडता तथा उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांतों के अनुरूप करेंगे।
  • पीड़ितों की सहायता: यह अभिसमय देशों को पीड़ितों को पुनर्वास सेवाएं, मुआवजे, क्षतिपूर्ति और अवैध सामग्री को हटाने की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह सहायता प्रत्येक देश के घरेलू कानूनों के अनुसार दी जाएगी।
  • मानवाधिकारों का सम्मान: पक्षकार देश यह सुनिश्चित करेंगे कि अभिसमय के तहत उनके दायित्वों का कार्यान्वयन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के अनुरूप हो।

अभिसमय का महत्व

  • बहुपक्षवाद की प्रासंगिकता: यह अभिसमय बहुपक्षवाद की जीत को दर्शाता है, जो साइबर अपराध से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की देशों की सामूहिक इच्छा को प्रतिबिंबित करता है।
  • बढ़ते डिजिटल खतरों का समाधान: उद्योग जगत के विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक साइबर अपराध के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान का आंकड़ा 2025 तक प्रतिवर्ष 10.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
  • ग्लोबल साउथ के देशों की सहायता: वैश्विक अभिसमय उन विकासशील देशों की सहायता करेगा, जहां प्रायः मजबूत साइबर सुरक्षा अवसंरचना का अभाव है।
  • उभरती चुनौतियां: यह AI-संचालित साइबर हमलों, डीपफेक, दुष्प्रचार अभियानों जैसे नए और उभरते खतरों से निपटने के लिए एक सहयोगात्मक फ्रेमवर्क प्रदान करता है।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र साइबर अपराध अभिसमय साइबर खतरों के खिलाफ वैश्विक सहयोग में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह अपराधों की रोकथाम, क्षमता-निर्माण और बहुपक्षीय एकजुटता को बढ़ावा देता है। इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या यह मानवाधिकारों की रक्षा करने और दुरुपयोग को रोकने और विकासशील राष्ट्रों की सहायता करने में सक्षम है। साथ ही, इसे एक सुरक्षित डिजिटल परिवेश सुनिश्चित करने के लिए विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों को भी अपनाना चाहिए।

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