सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, रसायन विज्ञान में 2025 के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर एम. यागी को मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOF) के विकास के लिए प्रदान किया गया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- पुरस्कार विजेताओं ने मेटल-ऑर्गेनिक फ़्रेमवर्क (MOFs) नामक मॉलिक्यूलर बिल्डिंग ब्लॉक्स का निर्माण किया है। इनमें बड़े स्थान (लार्ज स्पेस) विद्यमान होते हैं जिनके माध्यम से गैसें और अन्य रसायन प्रवाहित हो सकते हैं।
मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOF) के बारे में

MOFs दो भागों से मिलकर बने विशेष पदार्थ होते हैं:
- धातु आयन: (जैसे ताँबा, जस्ता आदि) – यह "जोड़ों" या "कनेक्टिंग पॉइंट्स" की तरह कार्य करता है।
- कार्बनिक अणु: (कार्बन-आधारित अणु जैसे कोयला, ग्लूकोज आदि) ये "कड़ियों" या "सेतुओं" की तरह कार्य करते हैं जो धातु के हिस्सों को आपस में जोड़ते हैं।
- जब ये दोनों भाग रासायनिक बंधों के माध्यम से जुड़ते हैं, तो वे एक नेटवर्क संरचना बनाते हैं।
- यह संरचना एक, दो, या तीन आयामों में हो सकती है जैसे- ठीक लाइनों, चादरों या 3D फ्रेमवर्क की तरह, जिनके बीच में बहुत सारे खाली स्थान या गुहाएं (Cavities) होती हैं।

- ये गुहाएं पदार्थ को अत्यधिक छिद्रपूर्ण बनाती हैं - जिसके अंदर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं।
- उदाहरण (इन्फोग्राफिक देखिए): ताँबा धातु (जिसे बिंदु के रूप में दर्शाया गया है) कार्बनिक अणु (जिसे मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के रूप में दर्शाया गया है) के साथ मिलकर गुहाओं वाली एक 3D श्रृंखला जैसे फ्रेमवर्क का निर्माण करता है। यह फ्रेमवर्क ही MOF है।
- एक और उदाहरण (इन्फोग्राफिक देखिए) - धातुएँ दीवार में लगी ईंटों की तरह होती हैं और कार्बनिक अणु एक ईंट को दूसरी ईंट से जोड़ने वाले स्तंभों की तरह होते हैं।
- जब ईंटों और स्तंभों को समय-समय पर व्यवस्थित किया जाता है, तो वे विशाल आणविक कक्ष बनाते हैं।
- ईंटों (धातुओं) और स्तंभों (कार्बनिक अणुओं) को बदलकर इन आणविक कक्षों का आकार और आकृति बदली जा सकती है।
MOF के विचार की उत्पत्ति
- MOFs बनाने का विचार डायमंड (हीरे) की संरचना का अध्ययन करने से आया — जिसमें प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य से जुड़कर एक छोटे पिरामिड जैसे पैटर्न का निर्माण करता है।
- वैज्ञानिकों ने समान अवधारणा का उपयोग किया, लेकिन इन नए छिद्रपूर्ण पदार्थों को बनाने के लिए कार्बन को धातु परमाणुओं और कार्बनिक अणुओं से बदल दिया।
मुख्य विशेषताएं

- प्रयुक्त धातुओं या कार्बनिक अणुओं को बदलकर, MOFs के अंदर के छिद्रों या गुहाओं को बड़ा या छोटा बनाया जा सकता है।
- इसका अर्थ है कि MOFs को गैस, जल या रसायनों जैसे विशिष्ट प्रकार की सामग्रियों को अवशोषित करने या ट्रैप करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।
- एक ग्राम MOF का आंतरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल लगभग दो फुटबॉल मैदानों के बराबर हो सकता है — जो दर्शाता है कि यह अंदर से कितना विशाल है।
- अपनी बड़ी गुहाओं और पृष्ठीय क्षेत्रफल के कारण, MOFs कई अन्य छिद्रपूर्ण सामग्रियों (जैसे जिओलाइट्स) की तुलना में अधिक अवशोषक होते हैं।
- ये आणविक भंडारगृह (Molecular Storehouses) की तरह कार्य करते हैं, जो गैसों, तरल पदार्थों या अन्य सामग्रियों को अपने छिद्रों के अंदर संग्रहीत करते हैं।
मुख्य अनुप्रयोग

अणुओं को ट्रैप करने, संग्रहीत करने या मुक्त करने की उनकी क्षमता उन्हें निम्नलिखित के लिए उपयोगी बनाती है:
- शुष्क वायु से जल संग्रहण
- रेगिस्तानी क्षेत्रों में जल दुर्लभ रूप से पाया जाता है। इन क्षेत्रों की वायु में जल की सांद्रता कम होती है, जिससे वायु से जल संग्रहण के कई मौजूदा तरीके अप्रभावी हो जाते हैं।
- MOFs में अच्छी अवशोषण क्षमता के साथ बड़ी गुहाएं होती हैं। MOF पदार्थ से बनी झिल्लियां बड़ी मात्रा में जल को अवशोषित कर सकती हैं।
- अवशोषण के बाद, MOF झिल्ली को थोड़ा गर्म करके तरल जल को कुशलतापूर्वक निकाला जा सकता है। इस प्रकार, MOFs रेगिस्तानी क्षेत्रों में जल की कमी की समस्या का समाधान कर सकते हैं।

- खाद्य प्रसंस्करण
- फल और सब्जियां एथिलीन गैस (जो एक हार्मोन है) निर्मुक्त करते हैं, जिसके कारण वे पकते हैं। फलों और सब्जियों को हार्वेस्ट करने के बाद, एथिलीन का उत्सर्जन काफी बढ़ जाता है, जिससे वे खराब हो जाते हैं।
- MOF-आधारित पैकेजिंग सामग्री में प्रबल अवशोषण क्षमता होती है जो एथिलीन गैस को अपनी गुहा में संग्रहीत करती है।
- यह अवशोषण एथिलीन की सांद्रता को कम करता है तथा फलों और सब्जियों की शेल्फ लाइफ (खराब होने से पहले की अवधि) को बढ़ाता है।
अन्य समान अनुप्रयोग
- प्रदूषण नियंत्रण: प्रदूषित जल से प्रदूषकों, जैसे PFAS, एंटीबायोटिक्स आदि को निकालना या अलग करना।
- दुर्लभ-मृदा तत्व: प्रायोगिक तौर पर अपशिष्ट जल से दुर्लभ-मृदा तत्वों का निष्कर्षण करना।
- गैस भंडारण: हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन आदि गैसों का भंडारण करना।