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भारत के ‘शीत मरुस्थल जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र’ को यूनेस्को जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र के विश्व नेटवर्क में शामिल किया गया (INDIA’S COLD DESERT BIOSPHERE RESERVE INCLUDED IN UNESCO’S WORLD NETWORK OF BIOSPHERE RESERVES)

12 Nov 2025
1 min

In Summary

भारत का शीत मरुस्थल जैवमंडल रिजर्व, जो यूनेस्को के नेटवर्क का हिस्सा है, इसका पहला उच्च ऊंचाई वाला रिजर्व है, जिसमें अद्वितीय वनस्पतियां, जीव-जंतु और सांस्कृतिक विरासत मौजूद है, जो वैश्विक जैव विविधता और सतत विकास प्रयासों में योगदान देता है।

In Summary

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल में यूनेस्को ने 26 नए स्थलों को 'जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र के विश्व नेटवर्क (World Network of Biosphere Reserves: WNBR)' में शामिल किया है। इनमें भारत में हिमाचल प्रदेश का 'शीत मरुस्थल जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र' भी शामिल है।

अन्य तथ्य 

  • इस नामांकन के बाद भारत के कुल 13 जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र यूनेस्को नेटवर्क का हिस्सा बन गए हैं। विश्व भर में ऐसे स्थलों की संख्या बढ़कर अब 784 हो गई है।
  • वहीं, मध्य अफ्रीका का एक द्वीपीय राष्ट्र साओ टोमे एंड प्रिंसिपे ऐसा पहला देश बन गया है, जिसका पूरा क्षेत्र जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है।

शीत मरुस्थल जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र के बारे में

  • अवस्थिति: यह भारत का पहला उच्च ऊंचाई वाला शीत मरुस्थल जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र है। शीत मरुस्थल के हिमाचल प्रदेश में स्थित भाग को यूनेस्को के WNBR में शामिल किया गया है जो सबसे शीत और शुष्क पारितंत्रों में से एक है।
    • उल्लेखनीय है कि शीत मरुस्थल का विस्तार हिमालय क्षेत्र में है और यह उत्तर में लद्दाख (लेह एवं कारगिल जिलों) से लेकर दक्षिण में किन्नौर (हिमाचल प्रदेश के स्पीति घाटी व किन्नौर जिले) तक विस्तृत है।
  • संरक्षित क्षेत्र: इसमें पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान और उसके आसपास का क्षेत्र; चंद्रताल तथा सरचू एवं किब्बर वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
  • बायोम: यह शीत मरुस्थल बायोम का निर्माण करता है। यहां चरम जलवायु दशाएं पाई जाती हैं। इसका कारण इसकी हिमालय के पवन विमुख ढलान पर अवस्थिति (जो इसे वृष्टि छाया क्षेत्र बनाता है) और बहुत अधिक ऊंचाई है।
  • मृदा: सीमित वनस्पति के कारण निम्न कार्बनिक पदार्थ वाली महीन, खुरदरी, रेतीली-दोमट मृदा।
  • हाइड्रोलॉजी : हिमनदों का पिघला जल स्पीति और पिन जैसी नदियों को जल उपलब्ध कराता है।
  • वनस्पति: सामान्य प्रजातियों में कारागाना, इफेड्रा, जूनिपरस, आर्टेमिसिया और सीबकथॉर्न शामिल हैं।
    • सीबकथॉर्न मृदा स्थिरीकरण, कार्बन निक्षेपण और स्थानीय आजीविका (रस, तेल और औषधीय उत्पादों के लिए उपयोग किया जाता है) के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
  • प्राणी: हिम तेंदुआ (प्रमुख प्रजाति), हिमालयन आइबेक्स, तिब्बती अर्गाली, नीली भेड़ (भरल), लाल लोमड़ी, यूरेशियन लिंक्स और हिमालयन भेड़िया।
  • संस्कृति: इस क्षेत्र में बौद्ध संस्कृति का प्रभुत्व है। इसमें शामिल हैं-
    • गोम्पा (बौद्ध मठ), चोर्टेन (विशेष प्रकार के स्तूप) और मणि दीवारें (पत्थरों की लंबी व चौड़ी कतार जैसी संरचनाएं) मिलती हैं।
  • मानव बस्तियां: प्रमुख समुदायों में भोटिया, चांगपा और स्पीति जनजातियां शामिल हैं, जो पशुपालन, जौ और कुट्टू की कृषि तथा याक और बकरी पालन करती हैं।

जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र के विश्व नेटवर्क (WNBR) के बारे में

  • WNBR की स्थापना 1976 में की गई थी। इसका प्रबंधन यूनेस्को के "मैन एंड बायोस्फियर (MAB)" प्रोग्राम के तहत किया जाता है।
    • MAB कार्यक्रम की शुरुआत 1971 में की गई थी। यह एक अंतर-सरकारी वैज्ञानिक कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य मनुष्य और पर्यावरण के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिक आधार तैयार करना है।
  • यह नेटवर्क मानव समाजों और प्राकृतिक पारिस्थितिक-तंत्रों के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देता है तथा सतत विकास को संभव बनाने में सहयोग करता है। 
  • MAB के तहत जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र कैसे नामित किए जाते हैं?
    • नामित करने वाली संस्था : MAB अंतर्राष्ट्रीय समन्वय परिषद के निर्णयों के अनुसार यूनेस्को के महानिदेशक द्वारा।
    • प्रयुक्त कार्यप्रणाली: जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र के लिए सेविले रणनीति (Seville Strategy) और जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र के विश्व नेटवर्क का सांविधिक ढांचा।
    • प्रस्ताव: यूनेस्को सभी सदस्य राष्ट्र और सहयोगी सदस्य अपनी ओर से किसी स्थल को नामांकन के लिए प्रस्तावित कर सकते हैं।
      • नामांकन के बाद भी, जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र उस देश के संप्रभु अधिकार क्षेत्र में ही रहता है, जहां वह अवस्थित है।
      • सदस्य राष्ट्र MAB सचिवालय को सूचित करके किसी जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र को नेटवर्क से हटा भी सकते हैं।
    • आवधिक समीक्षा: प्रत्येक जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र की प्रत्येक 10 वर्ष में समीक्षा की जाती है ताकि उसके कार्य और प्रबंधन की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके।
      • यदि कोई जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करता है, तो यूनेस्को उसकी मान्यता वापस ले सकता है।
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