IT (संशोधन) नियम, 2025 {IT (Amendment) Rules, 2025} | Current Affairs | Vision IAS
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IT (संशोधन) नियम, 2025 {IT (Amendment) Rules, 2025}

12 Nov 2025
1 min

In Summary

संशोधनों का उद्देश्य कृत्रिम सूचना को विनियमित करना, प्लेटफॉर्म की जवाबदेही बढ़ाना, तथा एआई-जनित सामग्री को लेबल करना, डीपफेक को संबोधित करना तथा 2025 तक सुरक्षित, भरोसेमंद ऑनलाइन स्थानों को बढ़ावा देना है।

In Summary

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (IT नियम 2021) में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य डीपफेक सहित कृत्रिम रूप से तैयार की गई सूचनाओं के दुरुपयोग को रोकना है। 

अन्य संबंधित तथ्य 

  • ये संशोधित नियम 15 नवंबर, 2025 से प्रभावी होंगे। इन्हें सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2025 कहा जाएगा। 
    • प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य मध्यवर्तियों के लिए निर्धारित किए गए उचित दायित्वों को अधिक मजबूत करना है। इन मध्यवर्तियों में विशेष रूप से सोशल मीडिया मध्यवर्ती (SMI) और महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती (SSMI) शामिल हैं। 

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के बारे में

  • इन नियमों को मूल रूप से 2021 में अधिसूचित किया गया था तथा बाद में इन्हें 2022 और 2023 में संशोधित किया गया था। ये नियम निम्नलिखित को निर्धारित करते हैं- 
    • समाचार और समसामयिक विषयों के कंटेंट तथा ध्यानपूर्वक चयनित और व्यवस्थित ऑडियो-विजुअल कंटेंट के ऑनलाइन प्रकाशकों द्वारा संबंधित कंटेंट के विनियमन हेतु रूपरेखा। 
    • ऑनलाइन सुरक्षा, संरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से SMIs सहित मध्यवर्तियों के लिए उचित दायित्व 
  • SMIs और SSMIs को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया गया है: 
    • SMI का अर्थ एक ऐसे मध्यस्थ से है, जो मुख्यतः या पूर्णतः दो या अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच ऑनलाइन इंटरेक्शन को सक्षम बनाता है। साथ ही, यह उपयोगकर्ताओं को अपनी सेवाओं का उपयोग करके जानकारी तैयार करने, अपलोड करने, साझा करने, प्रसारित करने, संशोधित करने या उस तक पहुंच को आसान बनाता है। 
    • SSMIs का अर्थ एक ऐसे सोशल मीडिया मध्यस्थ से है, जिसके भारत में पंजीकृत उपयोगकर्ताओं की संख्या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित सीमा से अधिक है। 

प्रस्तावित संशोधनों की मुख्य विशेषताएं

पहलू

विवरण

कृत्रिम रूप से तैयार सूचना (SGI) की परिभाषा

  • यह ऐसा कंटेंट या सूचना होती है, जिसे कंप्यूटर का उपयोग करके कृत्रिम रूप से या एल्गोरिदम द्वारा निर्मित, सृजित, संशोधित या परिवर्तित किया जाता है, ताकि वह दिखने में वास्तविक या सत्य प्रतीत हो।

SGI के संबंध में उचित दायित्व

  • यह अधिदेशित किया गया है कि SGI के निर्माण या संशोधन को सक्षम करने वाले कंप्यूटर संसाधनों की पेशकश करने वाले मध्यवर्तियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी जानकारी पर स्थायी अद्वितीय मेटाडेटा या पहचान चिन्ह लगाया गया हो। 
  • यदि कंटेंट दृश्य (Visual) रूप में है, तो यह लेबल कुल डिस्प्ले क्षेत्र के कम से कम 10 प्रतिशत हिस्से को कवर करता हो। यदि कंटेंट श्रव्य (Audio) है, तो लेबल शुरुआती अवधि के कम से कम 10 प्रतिशत समय तक मौजूद होना चाहिए। 
  • यह लेबल या पहचान चिन्ह इस तरह शामिल किया जाना चाहिए कि तुरंत यह पहचान की जा सके कि कंटेंट SGI है। 
  • ऐसे लेबल या पहचान चिन्हों को संशोधित करने, आकार घटाने या हटाने से मध्यवर्तियों को प्रतिबंधित किया गया है। 

SSMI के लिए दायित्वों का विस्तार: 

इसके लिए SSMI द्वारा निम्नलिखित कार्य करने आवश्यकता है: 

  • SSMIs को उपयोगकर्ताओं से यह डिक्लेयरेशन प्राप्त करना होगा कि अपलोड की गई जानकारी कृत्रिम रूप से तैयार की गई है या नहीं
  • ऐसे डिक्लेयरेशन को सत्यापित करने के लिए स्वचालित उपकरणों या अन्य उपयुक्त तंत्रों सहित उचित और आनुपातिक तकनीकी उपायों को लागू करना होगा; 
  • यह सुनिश्चित करना होगा कि स्पष्ट रूप से और प्रमुखता के साथ SGI का उचित लेबल या सूचना प्रदर्शित हो। 

यदि वे अनुपालन करने में विफल रहते हैं, तो प्लेटफ़ॉर्म तृतीय-पक्ष के कंटेंट के संदर्भ में प्राप्त विधिक उन्मुक्ति (Legal Immunity) खो सकते हैं।  

वरिष्ठ स्तर की स्वीकृति 

संशोधन के बाद किसी भी अवैध कंटेंट को हटाने के लिए मध्यवर्तियों को दी जाने वाली सूचना केवल निम्नलिखित के द्वारा ही जारी की जा सकती है— 

  • केंद्र सरकार के मंत्रालयों में संयुक्त सचिव (Joint Secretary) या उससे उच्च अधिकारी द्वारा अथवा राज्यों में उनके समकक्ष अधिकारी द्वारा। 
  • पुलिस बलों में उप महानिरीक्षक (DIG) या उससे उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा।  

 

 

AI-जनित कंटेंट की पहचान करने में आने वाली चुनौतियां

  • मानदंडों का अभाव: मानकीकृत मानदंडों के अभाव के कारण मौजूदा AI डिटेक्टर में त्रुटि की दर अधिक हो जाती है। इसके कारण अक्सर फॉल्स पॉजिटिव (मानव जनित कंटेंट को AI-जनित बता देना) या ट्रू नेगेटिव (AI-जनित कंटेंट को पहचानने में असफल रहना) जैसे परिणाम सामने आते हैं। 
  • क्षमता का अभाव: AI-जनित कंटेंट की मात्रा अधिकांश पहचान प्रणालियों की प्रसंस्करण और भंडारण क्षमताओं से अधिक है। इसके अतिरिक्त, पहचान प्रणाली के विस्तार से वित्तीय चुनौतियां उत्पन्न होंगी।
  • अनामिता: AI-जनित कंटेंट/ डीपफेक को बिना पहचान बताए बनाया जा सकता है या इसे विदेशी सर्वरों पर जारी किया जा सकता है। इसके अलावा, एकीकृत कानूनों या नियामक तंत्र का अभाव दूसरे देशों के जरिये किए जाने वाले सत्यापनों और ट्रेस करने की क्षमता में बाधा डालता है।
  • दृश्यता: जनरेटिव AI (GenAI) द्वारा सृजित कंटेंट मानव-निर्मित कंटेंट के साथ सहजता से मिश्रित हो जाता है। इससे पता लगाने वाली प्रणालियों के लिए पहचान करना कठिन हो जाता है।  

o उदाहरण के लिए, मिडजर्नी, डॉल-ई (DALL-E) और स्टेबल डिफ्यूज़न जैसे टूल्स वास्तविक प्रतीत होने वाले चित्र उत्पन्न कर सकते हैं। अतः अक्सर AI-जनित चित्रों में भेद करना कठिन हो जाता है।  

  • नवाचार और गोपनीयता का संतुलन: पहचान तंत्र अक्सर मेटाडेटा ट्रैकिंग के कारण गोपनीयता संबंधी चिंताएं उत्पन्न करते हैं। कठोर विनियमन AI नवाचार को बाधित कर सकता है, जबकि अपर्याप्त विनियमन गलत सूचना के अनियंत्रित प्रसार का जोखिम उत्पन्न करता है। 

डीपफेक से निपटने के लिए उठाए गए कदम

भारत

  • भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनावों के दौरान SGI और AI-जनित कंटेंट के प्रकटीकरण पर परामर्श जारी किया: सभी राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करेंगे कि-  

o   प्रचार उद्देश्यों के लिए उपयोग या प्रसारित की जाने वाली किसी भी कृत्रिम रूप से उत्पन्न या AI द्वारा परिवर्तित छवि, ऑडियो या वीडियो पर एक स्पष्ट और सुपाठ्य लेबल, जैसे कि "AI-जनित", "डिजिटल रूप से संवर्धित" या "सिंथेटिक कंटेंट" अंकित होना चाहिए। यदि कंटेंट दृश्य (visual) रूप में है, तो लेबल कुल प्रदर्शन क्षेत्र के कम से कम 10 प्रतिशत हिस्से को कवर करता हो। यदि कंटेंट श्रव्य (audio) रूप में है, तो लेबल शुरुआती अवधि के कम से कम 10 प्रतिशत समय तक मौजूद होना चाहिए। वीडियो कंटेंट के मामले में लेबल स्क्रीन के ऊपरी भाग के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। 

o  आधिकारिक पार्टी हैंडल पर AI-संशोधित छवि, ऑडियो या वीडियो, गलत सूचना या हेरफेर किए गए कंटेंट का कोई भी उदाहरण देखे जाने या रिपोर्ट किए जाने के 3 घंटे के भीतर हटा दिया जाएगा

  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023: यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि व्यक्तिगत डेटा का उपयोग डेटा फिड्युशियरीज़ (Data Fiduciaries) द्वारा उपयोगकर्ता की सहमति और उचित सुरक्षा उपायों के साथ वैध रूप से किया जाए। डेटा फिड्युशियरीज़ में AI कंपनियां भी शामिल हैं। इस अधिनियम के तहत बिना सहमति के व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करने वाले डीपफेक दंडनीय हो सकते हैं। 
  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): यह एजेंसियों को IT अधिनियम और IT नियम, 2021 के तहत डीपफेक सहित गैरकानूनी कंटेंट को हटाने या उस तक पहुँच समाप्त करने के लिए नोटिस जारी करने का अधिकार देता है। 
  • अन्य: I4C द्वारा सहयोग पोर्टल, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, CERT-In, आदि।

वैश्विक

  • यूरोपीय संघ का AI एक्ट सिंथेटिक कंटेंट पर वॉटरमार्किंग को अनिवार्य बनाता है।
  • डेनमार्क ने AI-जनित डीपफेक के प्रभाव से व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए अपने डिजिटल कॉपीराइट कानून के हिस्से के रूप में नए डीपफेक कानून का प्रस्ताव रखा है।
  • चीन ने अपने AI लेबलिंग नियम लागू किए हैं। इसके तहत अब कंटेंट प्रदाताओं को AI द्वारा निर्मित कंटेंट की पहचान के लिए स्पष्ट लेबल प्रदर्शित करने होंगे। 

आगे की राह

  • डिजिटल फ्रेमवर्क: AI-जनित कंटेंट की पहचान के लिए तीन स्तंभों के आधार पर एक टिकाऊ समाधान विकसित किया जा सकता है: 

 आधार के समान एक डिजिटल प्रोवेनेंस फ्रेमवर्क स्थापित करना, जिसमें कंटेंट को प्रमाणित करने के लिए अदृश्य लेकिन सत्यापन योग्य हस्ताक्षर शामिल हों। 

उत्तरदायित्व निर्धारण की विभिन्न स्तरित व्यवस्था लागू करना, जो सिंथेटिक मीडिया प्रबंधित करने वाले प्लेटफार्मों की भूमिका एवं प्रभाव के आधार पर दायित्व निर्धारित करे। 

o   AI साक्षरता को बढ़ावा देना, ताकि नागरिक हेरफेर को पहचानने में सक्षम हो सकें।

  • शासन संबंधी संरचना: गोपनीयता और नैतिक विचारों को संतुलित करते हुए, AI कंटेंट की पहचान को सुदृढ़ करने हेतु नियामक संरचनाएं, मानकीकृत तकनीकी प्रोटोकॉल और मजबूत निगरानी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
  • वॉटरमार्किंग: AI वॉटरमार्किंग, एक समाधान प्रदान कर सकता है। इसमें AI-जनित कंटेंट में अमिट चिह्न लगाए जाते हैं, जो कंटेंट की उत्पत्ति एवं संपूर्णता को डिजिटल हस्ताक्षर के रूप में प्रमाणित करते हैं।

o   उदाहरण के लिए, चीन द्वारा लागू किया गया अनिवार्य AI लेबलिंग नियम।

  • AI-जनित कंटेंट की पहचान के लिए वैश्विक मानक स्थापित करना: घरेलू प्रणालियों को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाने हेतु कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, AI इकोसिस्टम में सुदृढ़ और अनुकूल शासन सुनिश्चित करने के लिए नीतियों की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए।
  • बहु-हितधारक दृष्टिकोण: AI-जनित कंटेंट की पहचान के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और उन्हें साझा करने हेतु प्रयास करने चाहिए। इसके लिए सरकारी निकायों, उद्योग प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और नागरिक समाज के साथ परामर्श में सक्रिय रूप से शामिल होकर एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

जैसे-जैसे भारत AI शासन के युग में कदम रख रहा है, घरेलू नियमों को वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्य स्थापित करना, नवाचार-अनुकूल सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देना और सार्वजनिक AI साक्षरता को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। इससे एक सुरक्षित एवं भरोसेमंद ऑनलाइन स्पेस का निर्माण होगा, जो रचनात्मकता और सुरक्षा दोनों को अनुरक्षित रखेगा।

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