यूनाइटेड किंगडम (UK) के प्रधान मंत्री की भारत यात्रा के दौरान एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।
भारत- UK संयुक्त वक्तव्य के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- प्रौद्योगिकी: दोनों देशों ने दूरसंचार, महत्वपूर्ण खनिज, AI और स्वास्थ्य से संबंधित तकनीकों तथा महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में हुई ठोस प्रगति का स्वागत किया। प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल (Technology Security Initiative: TSI) के तहत निम्नलिखित उपायों का स्वागत किया गया:
- भारत-UK संचार-संपर्क और नवाचार केंद्र: इसमें शामिल हैं; 6G के लिए AI मूल नेटवर्क, गैर-स्थलीय नेटवर्क (NTN) और दूरसंचार के लिए साइबर सुरक्षा। इसमें न्यूनतम 24 मिलियन पाउंड के संयुक्त वित्त पोषण का प्रावधान है।
- भारत-UK संयुक्त AI केंद्र: इसका उद्देश्य स्वास्थ्य-देखभाल सेवा, जलवायु, फिनटेक और बायोटेक में उत्तरदायी AI को बढ़ावा देना है।
- यूके-इंडिया क्रिटिकल मिनरल्स सप्लाई चेन ऑब्जर्वेटरी का दूसरा चरण: खनिज अन्वेषण का विस्तार करने और IIT-ISM धनबाद में एक नया सैटेलाइट कैंपस स्थापित किया जाएगा।
- व्यापार और निवेश: दोनों देशों ने संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति (JETCO) के पुनर्गठन का स्वागत किया, जो भारत–यूनाइटेड किंगडम व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (CETA) के प्रशासन एवं उपयोग में सहायता करेगी।
- रक्षा: दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। इसके तहत हिंद-प्रशांत महासागर पहल के अंतर्गत क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा उत्कृष्टता केंद्र (Regional Maritime Security Centre of Excellence: RMSCE) की स्थापना की जाएगी।
- शिक्षा: दोनों पक्षों ने वैध प्रवासन को बढ़ावा देने और अनियमित आवागमन पर अंकुश लगाने के लिए प्रवासन और आवागमन साझेदारी (Migration and Mobility Partnership) की पुष्टि की।
- बेलफास्ट की क्वींस यूनिवर्सिटी और कोवेंट्री यूनिवर्सिटी को GIFT सिटी में अपना कैम्पस शुरू की अनुमति दी गई।
- जलवायु और ऊर्जा: दोनों देशों ने जलवायु तकनीक और AI में नवाचार का समर्थन करने के लिए क्लाइमेट टेक स्टार्ट-अप फंड के लिए नए संयुक्त निवेश की घोषणा की।
- इसके अतिरिक्त, अपतटीय पवन ऊर्जा कार्यबल और ग्लोबल क्लीन पावर अलायंस (GCPA) के माध्यम से सहयोग करने की मंशा व्यक्त की गई।
हाल ही में, 47वां आसियान शिखर सम्मेलन मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित किया गया।
- आसियान शिखर सम्मेलन वर्ष में दो बार आयोजित किए जाते हैं, जिसकी मेजबानी उस देश द्वारा की जाती है जो उस वर्ष आसियान की अध्यक्षता करता है।
इस शिखर सम्मेलन के मुख्य बिंदु:
- 11वें सदस्य का समावेश: तिमोर-लेस्ते (पूर्वी तिमोर) को आधिकारिक रूप से आसियान के 11वें सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
- थीम: समावेशिता और संधारणीयता।
- कुआलालंपुर समझौता: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संयुक्त युद्धविराम समझौता लागू हुआ।
22वां आसियान-भारत वार्षिक शिखर सम्मेलन भी इसी शिखर सम्मेलन के साथ आयोजित किया गया। इस सम्मेलन के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- समुद्री सहयोग: वर्ष 2026 को “आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष (“ASEAN-India Year of Maritime Cooperation)” घोषित किया गया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केंद्रीय भूमिका का समर्थन किया गया।
- सतत पर्यटन: आसियान-भारत संयुक्त राष्ट्राध्यक्षों के सतत पर्यटन पर वक्तव्य (Joint Leaders’ Statement on Sustainable Tourism) को अपनाया गया।
- कार्य योजना: आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी (2026-2030) को लागू करने हेतु आसियान-भारत कार्य योजना के क्रियान्वयन को समर्थन प्रदान किया गया।
Article Sources
1 sourceइस अवसर पर दोनों देशों ने अपनी रणनीतिक साझेदारी की 10वीं वर्षगांठ भी मनाई। इस अवसर पर मंगोलिया के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर भी किए गए।
हस्ताक्षरित महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) के बारे में

- विकास सहयोग: दोनों देशों ने मंगोल ऑयल रिफाइनरी प्रोजेक्ट के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस प्रोजेक्ट को भारत द्वारा 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता से परिचालित किया जा रहा है।
- सांस्कृतिक संबंध: लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद और मंगोलिया के अरखानगाई प्रांत के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- आध्यात्मिक सहयोग: भारत भगवान बुद्ध के दो शिष्यों सारिपुत्र और मौद्गल्यायन के पवित्र अवशेष मंगोलिया भेजेगा। साथ ही, मंगोलिया की 10 लाख प्राचीन बौद्ध पांडुलिपियों को डिजिटाइज करने में मदद भी करेगा। भारत नालंदा विश्वविद्यालय और गंदन मठ के बीच आध्यात्मिक संबंध भी स्थापित करेगा।
- अन्य:
- मंगोलियाई नागरिकों को निशुल्क ई-वीजा प्रदान करना।
- तीसरे देशों के बंदरगाहों की क्षमताओं के माध्यम से व्यापार को बढ़ाना।
- यूरेनियम, आपूर्ति श्रृंखला और महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग को मजबूत करना।
भारत के लिए मंगोलिया का महत्त्व
- सामरिक महत्व: मंगोलिया की सामरिक अवस्थिति भारत के लिए क्षेत्रीय स्थिरता और भू-राजनीतिक संतुलन बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- अंतर्राष्ट्रीय और विकास सहयोग: दोनों देश मुक्त, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत के साथ-साथ बहुपक्षीय मंचों पर भी सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- ऊर्जा और आर्थिक साझेदारी: मंगोलिया के पास कोकिंग कोयले का विशाल भंडार है, जो भारत के इस्पात उद्योग के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।

इस फोरम की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन के 16वें सत्र (UNCTAD16) में की गई है। इसका उद्देश्य विकासशील देशों में व्याप्त ऋण संकट से निपटना है।
सेविला फोरम ऑन डेब्ट के बारे में
- इसका नेतृत्व स्पेन कर रहा है। इसे UNCTAD तथा संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UN DESA) का समर्थन प्राप्त है।
- यह फोरम ऋण संधारणीयता, प्रबंधन और नवोन्मेषी समाधानों पर सभी हितधारकों, ऋणदाताओं, उधारकर्ताओं, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं और शैक्षणिक समुदाय को एक मंच पर लाएगा।
- यह फोरम फोर्थ इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन फाइनेंसिंग फॉर डेवलपमेंट (FfD4) का एक प्रमुख परिणाम है और सेविला प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन का हिस्सा है।
- इसके अन्य तीन परिणाम हैं:
- डेब्ट स्वैप्स फॉर डेवलपमेंट हब,
- डेब्ट-फॉर-डेवलपमेंट स्वैप प्रोग्राम और
- डेब्ट "पॉज क्लॉज" अलायन्स।
- इसके अन्य तीन परिणाम हैं:
- यह पहल सेविला प्रतिबद्धता को पूरक बनाएगी।
- सेविला प्रतिबद्धता का उद्देश्य विकासशील देशों द्वारा सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने की दिशा में प्रतिवर्ष सामना की जाने वाली 4 ट्रिलियन डॉलर की कमी को दूर करना है।
- यह 2015 के बाद पहली बार है, जब अलग-अलग देशों (अंतर-सरकारी) ने मिलकर विकास के लिए वित्तीय सहयोग का कोई साझा फ्रेमवर्क स्वीकार किया है।
ऋण संकट
- वैश्विक सार्वजनिक ऋण: 2024 में यह 102 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था। इसमें से 31 ट्रिलियन डॉलर का बोझ विकासशील देशों पर है।
- विकासशील देश वार्षिक ऋण भुगतान पर 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करते हैं।
- 3.4 बिलियन से अधिक लोग ऐसे राष्ट्रों में रहते हैं, जो स्वास्थ्य या शिक्षा पर खर्च करने की तुलना में ऋण भुगतान पर अधिक खर्च करते हैं।
रूस की संसद के निचले सदन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ प्लूटोनियम प्रबंधन और निपटान समझौता (PMDA) से हटने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
- गौरतलब है कि रूस ने 2016 में अमेरिकी प्रतिबंधों का हवाला देते हुए इस समझौते के कार्यान्वयन को निलंबित कर दिया था।
प्लूटोनियम प्रबंधन और निपटान समझौता के बारे में
- इस समझौते पर वर्ष 2000 में हस्ताक्षर किए गए थे।
- यह अमेरिका और रूस दोनों को अपने पास रखे वेपंस-ग्रेड प्लूटोनियम में से प्रत्येक को कम-से-कम 34 मीट्रिक टन इस तरह से निपटान करने के लिए बाध्य करता है कि वापस इनका उपयोग नहीं किया जा सके।
- प्लूटोनियम: यह एक रेडियोधर्मी पदार्थ है, जिसकी परमाणु संख्या 94 है। इसका गलनांक उच्च होता है। यह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला सबसे भारी तत्व है।
- निपटान लक्ष्य: प्लूटोनियम को अधिक सुरक्षित रूपों में परिवर्तित करना (जैसे MOX ईंधन, रिएक्टर विकिरण में)।
ईरान ने आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय का अनुसमर्थन किया है।
इस अभिसमय के बारे में
- यह अभिसमय संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1999 में अपनाया गया था और यह 2002 में लागू (प्रभावी) हुआ था।
- उद्देश्य:
- आतंकवाद के वित्तपोषण को अपराध घोषित करना।
- ऐसे व्यक्तियों या संस्थाओं को जवाबदेह ठहराना, जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन या संसाधन उपलब्ध कराते हैं।
- भारत ने भी इसका अनुसमर्थन किया है।
संघर्षरत क्षेत्र | संघर्ष का कारण | मुख्य भौगोलिक विशेषताएं | मानचित्र |
म्यांमार (सागाइंग क्षेत्र) | म्यांमार से दस लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान अब बांग्लादेश में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। बांग्लादेश में इनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। |
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मेडागास्कर (राजधानी: अंटानानारिवो)
| मेडागास्कर में सरकार विरोधी जेन Z (Gen Z) विरोध-प्रदर्शनों के कारण सरकार गिर गई है। |
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यूरोपीय परिषद ने यूरोपीय संघ-भारत रणनीतिक एजेंडा को मंजूरी प्रदान की। इसमें भू-राजनीतिक संदर्भ में उभरते अवसरों, चुनौतियों और खतरों से निपटने के लिए प्राथमिकता वाले पांच स्तंभों की पहचान की गई है।
प्राथमिकता वाले पांच स्तंभ
- समृद्धि और संधारणीयता: यह आर्थिक संवृद्धि, रोजगार सृजन, विकार्बनिकरण और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और निवेश संरक्षण समझौते (IPA) को अंतिम रूप देना इसके केंद्रीय लक्ष्य हैं।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार: महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकियों और डिजिटल अवसंरचना पर सहयोग को गहरा करने पर केंद्रित है। साथ ही, यह व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद और हॉरिजोन यूरोप के माध्यम से अनुसंधान संबंधी सहयोग को बढ़ावा देगा।
- सुरक्षा और रक्षा: वैश्विक सुरक्षा संबंधी खतरों, भू-राजनीतिक तनावों और तकनीकी परिवर्तनों से निपटना। उदाहरण के लिए- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समन्वय स्थापित करना और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा देना।
- संपर्क और वैश्विक मुद्दे: यह क्षेत्रीय संपर्क, वैश्विक गवर्नेंस और अल्पविकसित देशों में सहयोग को मजबूत करेगा।
- उदाहरण के लिए- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) और ग्लोबल गेटवे जैसी पहलों को मजबूत करना।
- सभी स्तंभों में सक्षमकर्ता: यह सभी चार मुख्य स्तंभों को समर्थन देने के लिए कौशल गतिशीलता, ज्ञान विनिमय, व्यापार सहभागिता और संस्थागत सहयोग को सुगम बनाएगा।


