Select Your Preferred Language

Please choose your language to continue.

क्या जाति गणना का तरीका बदलना चाहिए? | Current Affairs | Vision IAS

Daily News Summary

Get concise and efficient summaries of key articles from prominent newspapers. Our daily news digest ensures quick reading and easy understanding, helping you stay informed about important events and developments without spending hours going through full articles. Perfect for focused and timely updates.

News Summary

Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat

क्या जाति गणना का तरीका बदलना चाहिए?

19 min read

आगामी जनगणना और जाति डेटा संग्रह का अवलोकन

तेलंगाना के संगारेड्डी ज़िले के कंदी में एक स्कूल शिक्षक द्वारा जाति संबंधी आंकड़े एकत्र करने का कार्य केंद्र सरकार के उस निर्णय को रेखांकित करता है, जिसके तहत 2027 में होने वाली अगली जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल किया जाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य हाशिए पर रह रहे समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करना है। प्रधान मंत्री ने इसे समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

जनगणना प्रक्रिया की संरचना

जनगणना के दो चरण

  • हाउस-लिस्टिंग चरण (2026): अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच निर्धारित, इस चरण में आवास संबंधी विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी आवासीय इकाइयों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा। 
  • जनसंख्या गणना चरण (2027): इस चरण में जाति संबंधी जानकारी के साथ-साथ प्रमुख सामाजिक-आर्थिक आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। इन्हें अंतिम बार 1941 में दर्ज किया गया था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कारण संसाधित नहीं किया जा सका था। 

ऐतिहासिक संदर्भ और चुनौतियाँ

  • जाति संबंधी विस्तृत आंकड़े उपलब्ध कराने वाली अंतिम जनगणना 1931 में हुई थी, जिससे नीति-निर्माण के लिए वर्तमान आंकड़े अप्रचलित हो गए हैं। 
  • जनगणना प्रश्नावली का डिज़ाइन पुनर्गठन के बिना सार्थक जातिगत आंकड़े एकत्र करने के उद्देश्य को पूरी तरह से समर्थन नहीं दे सकता है। 

जनगणना प्रश्नावली का प्रस्तावित पुनर्गठन 

जनगणना प्रश्नावली का पुनर्गठन करने से डेटा उपयोगिता में सुधार हो सकता है: 

  • जनगणना में सभी जातियों (अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर) के लिए जाति संबंधी प्रश्न शामिल करने से डेटा संग्रहण में वृद्धि हो सकती है। 
  • जातियों के बारे में जानकारी सामाजिक-आर्थिक संकेतकों, जैसे- शिक्षा, विवाह की आयु और आर्थिक भागीदारी से प्राप्त की जा सकती है। 

वर्तमान डेटा संग्रह की सीमाएँ 

  • जनगणना से प्राप्त बेरोजगारी के आंकड़ों में अवधारणात्मक और संग्रहण संबंधी समस्याएं हैं। साथ ही, इस बात पर स्पष्टता का अभाव है कि किसी व्यक्ति को बेरोजगार के रूप में वर्गीकृत करने के लिए उसे कितने समय तक काम की तलाश करनी चाहिए। 
  • शिशु जन्म और जीवित रहने से संबंधित आंकड़ों में गुणवत्ता संबंधी समस्याएं हैं और इन्हें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के माध्यम से बेहतर ढंग से एकत्रित किया जा सकता है।

माइग्रेशन और डेटा संबंधी अन्य कमियाँ 

  • प्रवासन संबंधी आंकड़े महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्रायः उन्हें कम या गलत तरीके से दर्ज किया जाता है, जिससे जाति-विशिष्ट प्रवासन प्रवृत्तियों के आकलन में चुनौती उत्पन्न होती है।
  • विश्वसनीय जाति-वार आंकड़े मुख्यतः शिक्षा, विवाह की आयु और आर्थिक गतिविधि तक ही सीमित हैं। 

जनगणना डेटा की गुणवत्ता और उपयोगिता बढ़ाना

हाउस-लिस्टिंग और सूचना के साथ लिंकेज 

  • हाउस-लिस्टिंग चरण का उद्देश्य गणना में सहायता के लिए व्यापक आवास सूची तैयार करना है। 
  • आवास की गुणवत्ता और सुविधाओं से संबंधित प्रश्नों को हाउसहोल्ड शेड्यूल में स्थानांतरित करने से डेटा लिंकेज और सटीकता में सुधार हो सकता है। 

डेटा त्रुटियों को कम करना 

  • विभिन्न चरणों के बीच डेटा लिंक करने में त्रुटियाँ छोटे समुदायों की डेटा विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती हैं। 
  • बेहतर हाउस-लिस्ट शहरी क्षेत्र के डेटा कवरेज को बढ़ा सकती हैं, जहां अक्सर गणना से छूट जाने की दर अधिक होती है। 

जनगणना प्रश्नावली को सरल बनाना

  • अनावश्यक प्रश्नों (जैसे, मोबाइल फोन और कंप्यूटर का स्वामित्व) को हटाने से प्रक्रिया सरल हो जाएगी। 
  • आवश्यक प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करने से डेटा की सटीकता और उपयोगिता में सुधार होगा।

नीति और कार्यक्रम निर्माण के लिए निहितार्थ

हालांकि, जनगणना ने ऐतिहासिक रूप से जाति/ जनजाति-वार सामाजिक-आर्थिक डेटा प्रदान किया है, लेकिन नीति-निर्माण के लिए सबसे पिछड़े समुदायों की पहचान करने में इसका उपयोग सीमित है। उम्मीद है कि आने वाले जाति-वार डेटा से कार्यक्रम निर्माण में सुधार होगा और केवल आरक्षण संबंधी निर्णयों से आगे बढ़ा जा सकेगा। 

  • Tags :
  • Census
Subscribe for Premium Features