वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट, 2024 (FATF Mutual Evaluation Report 2024) | Current Affairs | Vision IAS
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    वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट, 2024 (FATF Mutual Evaluation Report 2024)

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 12 Nov 2025

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने 'धन शोधन-रोधी और आतंकवाद वित्तपोषण-रोधी (AML/CTF) उपाय' शीर्षक से भारत के लिए अपनी पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में FATF ने धन-शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण सहित अवैध स्रोतों से अर्जित धन से निपटने के उपायों को लागू करने के भारत के प्रयासों की सराहना की है।

    रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर नजर

    • इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने FATF की सभी अनुशंसाओं के अनुरूप तकनीकी अनुपालन का उच्च स्तर प्राप्त किया है।
    • भारत को FATF ने "रेगुलर फॉलो-अप" श्रेणी में रखा है, जो कि रेटिंग की सर्वोच्च श्रेणी है।
      • इस श्रेणी में G20 के केवल कुछ सदस्यों (यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और इटली) को ही रखा गया है।
    • भारत ने वित्तीय समावेशन में अधिक प्रगति की है। भारत में बैंक खातों वाली आबादी का अनुपात दोगुने से भी अधिक हो गया है। इससे डिजिटल पेमेंट सिस्टम्स का अधिक उपयोग सुनिश्चित हुआ है।
    • भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, परिसंपत्ति की स्थिति में सुधार करने तथा परमाणु, रासायनिक या जैविक हथियारों के प्रसार के वित्त-पोषण के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को लागू करने में भी सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं।

    वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के बारे में

    • उत्पत्ति: इसे 1989 में स्थापित किया गया।
    • उद्देश्य: वित्तीय प्रणालियों और व्यापक अर्थव्यवस्था को मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण तथा परमाणु, रासायनिक या जैविक हथियारों के प्रसार हेतु वित्तपोषण के खतरों से बचाना। इससे वित्तीय क्षेत्रक के काम-काज को पारदर्शी बनाया जा सकता है और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
    • सचिवालय: पेरिस (फ्रांस)। 
    • सदस्य: वर्तमान में FATF के सदस्यों की संख्या 40 है। इसमें 38 देश और 2 क्षेत्रीय संगठन (खाड़ी सहयोग परिषद और यूरोपीय आयोग) शामिल हैं।
      • भारत 2010 में इसका सदस्य बना।
    • कार्य:
      • तरीका और ट्रेंड विकसित करना: यह मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खतरों की पहचान करने, उनका आकलन करने और उन्हें समझने में देशों की सहायता के लिए तरीकों और ट्रेंड पर शोध करता है।
      • मानक निर्धारित करना: FATF की अनुशंसाएं संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को रोकने के लिए समन्वित वैश्विक प्रयास सुनिश्चित करती हैं।
      • कार्यान्वयन का आकलन: यह देशों की निगरानी करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे FATF मानकों को पूर्ण और प्रभावी रूप से लागू कर रहे हैं।
    • उच्च जोखिम वाले देशों का FATF द्वारा वर्गीकरण
      • उच्च जोखिम वाले क्षेत्र/देश जिनसे अधिक कार्रवाई की अपेक्षा की जाती है (ब्लैक लिस्ट): ऐसे देश या क्षेत्राधिकार जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण और हथियारों के प्रसार से निपटने के प्रयासों में गंभीरता का अभाव है।
        • वर्तमान में, इसमें केवल 3 देश शामिल हैं - डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ईरान और म्यांमार।
      • अधिक निगरानी वाले देश/क्षेत्राधिकार (ग्रे लिस्ट): ऐसे देश जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण और हथियारों के प्रसार का वित्तपोषण से निपटने हेतु अपने गवर्नेंस में निहित कमियों को दूर करने के लिए FATF के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं।

    मनी-लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण (ML/TF) क्या हैं?

    मनी लॉन्ड्रिंग (ML)

    • मनी लॉन्ड्रिंग एक प्रकार की अवैध गतिविधि है। इसमें आपराधिक गतिविधियों से अर्जित धन के स्रोत को छिपाकर उसे वैध स्रोत से प्राप्त होने जैसा दिखाया जाता है। यह गतिविधि अपराधी को धन के स्रोत को उजागर किए बिना इसका उपयोग करने में मदद करती है।

    आतंकवाद का वित्त-पोषण (Terrorist Financing: TF)

    • इसमें आतंकवादी संगठनों द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले साधन और तरीके शामिल हैं।
    • इसे वैध स्रोतों (जैसे व्यवसायों और चैरिटी से प्राप्त लाभ) और आपराधिक स्रोतों (जैसे नशीली दवाओं का व्यापार, हथियारों की तस्करी, और फिरौती के लिए अपहरण) दोनों, से प्राप्त किया जा सकता है।

    रिपोर्ट में भारत में ML/TF से संबंधित जताई गयी चिंताएं

    • मनी लॉन्ड्रिंग के मुख्य स्रोत: भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के प्रमुख स्रोतों में साइबर-आधारित धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, और नशीली दवाओं की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियां शामिल हैं।
    • सुरक्षा संबंधी खतरे: इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट (ISIL) और अल-कायदा से जुड़े समूह जम्मू और कश्मीर व  उसके आस-पास के क्षेत्र में सक्रिय हैं। 
      • इसके अलावा, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर भारत में क्षेत्रीय विद्रोही समूह और वामपंथी चरमपंथी समूह भी सक्रिय हैं।
    • कानूनी प्रणाली और कानून को लागू करने में समस्या: मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाइयों से संबंधित कई मामलों को न्यायालयों में चुनौती दी गई है। हालांकि, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत गिरफ्तारी और संपत्ति की कुर्की, तलाशी और जब्ती पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शक्तियों को सही ठहराया था, इसके बावजूद कई मामले अभी भी लंबित हैं। 
      • पिछले पांच वर्षों में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केवल 28 मामलों में सजा दी गई है।
    • निगरानी की कमी: डेज़िग्नैटिड नॉन-फाइनेंशियल बिज़नेस एंड प्रोफेशनल्स (DNFBPs) क्षेत्रक में या तो निगरानी की कमी है या वहां निगरानी अभी शुरू नहीं हुई है, विशेषकर उच्च जोखिम वाले क्षेत्रकों में।
      • कर कानून के तहत नकद लेनदेन पर प्रतिबंध से बहुमूल्य धातुओं और जवाहरात (DPMS) के विक्रेताओं से जुड़े ML/TF जोखिमों को पर्याप्त रूप से कम नहीं किया जा सका है।
    • पॉलिटिकली एक्सपोज़्ड पर्सन्स (PEPs): धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), धन शोधन निवारण नियम, और वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों (RBI, SEBI, IRDAI और PFRDA) द्वारा जारी दिशानिर्देशों में देश के राजनीतिज्ञों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
      • PEP वे व्यक्ति होते हैं जो किसी प्रमुख पद (राज्य या सरकार के प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ सरकारी, न्यायिक या सैन्य अधिकारी आदि) पर आसीन होते हैं, और इनके द्वारा अवैध धन शोधन या भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी जैसे अपराध करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने की संभावना होती है।

    भारत में पहचाने गए जोखिमों पर लागू नीतियां

    पहचाने गए जोखिम

    उठाए गए कदम

    नकदी-आधारित आर्थिक गतिविधियों से जुड़े जोखिम

    वित्तीय समावेशन कार्यक्रम - देश के प्रत्येक निवासी को विशिष्ट बायोमेट्रिक पहचान संख्या (आधार) जारी की गई है। बिना किसी शुल्क के जीरो-बैलेंस बैंक खाता खोलने की योजना (जनधन) चलाई जा रही है।

    अदृश्य व्यापार आपूर्ति श्रृंखला

    2017 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरूआत की गई। इसमें ई-चालान, ई-बिल और केंद्रीय स्तर पर डेटा की प्रोसेसिंग जैसे प्रावधान हैं। 

    बैंक धोखाधड़ी से जुड़े जोखिम

    सेंट्रल फ्रॉड रजिस्ट्री (CFR) में पंजीकरण आसान किया गया है। यह 2016 में स्थापित वेब आधारित सर्चेबल डेटाबेस है।

    भ्रष्टाचार से जुड़े जोखिम

    2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन किए गए। इसके तहत वाणिज्यिक संगठनों में वरिष्ठ प्रबंधन पदों की जिम्मेदारी को स्पष्ट किया गया और रिश्वतखोरी से जुड़े अपराध की सजा में वृद्धि की गई है।

    अघोषित विदेशी परिसंपत्तियों के जोखिम

    पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) पोर्टल को 2022 में लॉन्च किया गया। यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है। 

    लीगल पर्सन्स के दुरुपयोग से जुड़े जोखिम

    2017 में शेल कंपनियों पर कार्य बल का गठन किया गया। इसने अवैध गतिविधियों में उपयोग की गई शेल कंपनियों की पहचान करने के लिए एक डेटाबेस संकलित किया। इस डेटाबेस के अनुसार कई शेल कंपनियों में समान निदेशकों की नियुक्ति की गई थी।

    नई प्रौद्योगिकियों से जुड़े जोखिम

    RBI ने 2022 में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी जैसी नई पहलों को बढ़ावा देने के लिए फिनटेक विभाग की स्थापना की।

    ML/TF से निपटने वाली एजेंसियों की क्षमता में सुधार करना

     

    वर्ष 2022 में फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट - इंडिया (FIU-IND) FINNET सिस्टम विकसित किया गया। इसका उद्देश्य वित्तीय ख़ुफ़िया जानकारी जुटाना, इनका विश्लेषण करना और एजेंसियों के साथ साझा करना है। इसके लिए कई डेटा स्रोतों पर आधारित अत्याधुनिक रिस्क स्कोरिंग का उपयोग किया जाता है। 

    आगे की राह: रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें

    • जोखिम विश्लेषण: मानव तस्करी और प्रवासी तस्करी से जुड़े धन-शोधन तरीकों का अधिक व्यापक वित्तीय नेटवर्क विश्लेषण करना चाहिए।
    • कानून में सुधार: अदालती कार्यवाही की क्षमता और ED की क्षमता बढ़ाने के लिए कानूनों में व्यापक बदलाव किए जा सकते हैं। इससे धन-शोधन से जुड़े नए और लंबित, दोनों प्रकार के मामलों की संख्या को कम किया जा सकता है।
    • पॉलिटिकली एक्सपोज़्ड पर्सन्स (PEPs) की पहचान: रिपोर्टिंग संस्थाओं को घरेलू PEPs की पहचान में सुधार करना चाहिए और उनसे जुड़े जोखिमों से निपटने के लिए प्रावधान किए जाने चाहिए।
    • निगरानी में सुधार: संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर DNFBPs को संदिग्ध लेनदेन से जुड़ी सभी गतिविधियों तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए।
    • लीगल पर्सन्स और व्यवस्थाओं की निगरानी: कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) को रजिस्ट्रियों की निगरानी बढ़ानी चाहिए ताकि लीगल पर्सन्स पर पर्याप्त, सटीक और अपडेटड जानकारी तथा लाभ अर्जक स्वामित्व (BO) से जुड़ी जानकारी उपलब्ध हो सके।
    • आतंकवाद के वित्त-पोषण की रोकथाम: लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों (TFS) को लागू करने के लिए फ्रेमवर्क में सुधार करना चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि सभी नेचुरल और लीगल पर्सन्स बिना देरी के धन और संपत्ति को फ्रीज करने के लिए बाध्य हों। 
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