भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता (FTA) और भारतीय निर्यात क्षेत्रों पर इसका प्रभाव
हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-UK मुक्त व्यापार समझौते से भारत के श्रम-प्रधान निर्यात क्षेत्रों, विशेषकर वस्त्र और जूते-चप्पल को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
कपड़ा और परिधान उद्योग पर प्रभाव
- उद्योग के अनुमान के अनुसार कपड़ा और परिधान क्षेत्र में लगभग 7,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कारोबार होगा।
- इसका लक्ष्य 2030 तक 100 बिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य प्राप्त करना है।
- CITI के अध्यक्ष राकेश मेहरा ने कहा कि FTA भारतीय कपड़ा क्षेत्र की किस्मत बदल सकता है।
- तिरुप्पुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का अनुमान है कि इस केंद्र से UK के निर्यात का हिस्सा 5,000 करोड़ रुपये से दोगुना होकर कुल राजस्व का 20% हो सकता है।
- भारत का लक्ष्य दो वर्षों में UK के बाजार में अपनी हिस्सेदारी 6% से बढ़ाकर 10% करना है, जिससे 6,000-7,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कारोबार संभव होगा।
भारत एक प्रमुख वस्त्र आपूर्तिकर्ता के रूप में
- UK के कुल कपड़ा और परिधान आयात में भारत की हिस्सेदारी 6.6% है, जिससे यह चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है।
- UK ने 2024 में 27 बिलियन डॉलर मूल्य के वस्त्र और परिधान उत्पादों का आयात किया, जिसमें चीन 25% के साथ सबसे आगे है, उसके बाद बांग्लादेश और तुर्की का स्थान है।
फुटवियर उद्योग पर प्रभाव
- चमड़ा और गैर-चमड़ा उत्पादों सहित फुटवियर क्षेत्र का व्यापार वर्तमान 440 मिलियन डॉलर से बढ़कर 1 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
- यह FTA क्लार्क्स, सुपरड्राई, M&S और जॉन लॉब जैसे ब्रांडों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि क्लार्क्स भारत से प्रतिवर्ष 8-10 मिलियन जोड़े खरीदते हैं।
- महिलाओं और बच्चों के फुटवियर क्षेत्र में विस्तार पर जोर।
- एन मोहन और वीकेसी रजाक ने तमिलनाडु में उभरती गैर-चमड़ा कंपनियों के लिए संभावित बढ़ावा पर प्रकाश डाला।
निष्कर्ष
भारत-UK FTA को व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो शुल्क मुक्त लाभ प्रदान करेगा तथा वस्त्र और जूते के क्षेत्र में भारत के निर्यात के लिए महत्वपूर्ण वृद्धि की संभावना प्रदान करेगा।