हिमाचल प्रदेश पर जलवायु अस्थिरता का प्रभाव
हाल ही में, हिमाचल प्रदेश में 20 से ज़्यादा बार अचानक बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएँ हुईं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ और बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचा। ऐसी घटनाएँ लगातार हो रही हैं और इन घटनाओं के बीच की अवधि कम होती जा रही है, जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी है।
भारत में प्राकृतिक आपदाएँ
- 1900 से अब तक भारत में 764 बड़ी प्राकृतिक आपदाएं दर्ज की गईं हैं, जिनमें से लगभग आधी 2000 के बाद घटित हुईं।
- 2019 और 2023 के बीच, भारत को मौसम संबंधी आपदाओं से 56 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हुए सभी जलवायु नुकसानों का लगभग एक चौथाई है।
समाधान के रूप में पैरामीट्रिक बीमा
- अप्रत्याशित चरम मौसम की घटनाओं के लिए पारंपरिक बीमा मॉडल अपर्याप्त हैं।
- पैरामीट्रिक बीमा एक विकल्प प्रदान करता है, जो वर्षा या हवा की गति जैसी पूर्वनिर्धारित सीमाओं का उल्लंघन होने पर त्वरित भुगतान प्रदान करता है।
- स्वतंत्र डेटा के आधार पर भुगतान स्वचालित रूप से शुरू हो जाता है तथा कुछ ही घंटों में भुगतान हो जाता है।
- सीमाएँ भारत मौसम विज्ञान विभाग और नासा जैसे प्रतिष्ठित स्रोतों से प्राप्त सत्यापित आंकड़ों पर आधारित हैं।
पैरामीट्रिक बीमा के उपयोग
- झारखंड में, यदि वर्षा या तापमान की सीमा पूरी हो जाती है तो बीमा पॉलिसियां ऋण चुकौती को कवर करके किसानों की मदद करती हैं।
- राजस्थान में, सौर ऊर्जा कम्पनियां सूर्य के प्रकाश के घंटों में अपेक्षित कमी आने पर उत्पादन में हुई हानि के लिए भुगतान सुनिश्चित कर सकती हैं।
- राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पैरामीट्रिक बीमा ने छोटे किसानों को सूखे से बचाया तथा जब पानी की उपलब्धता एक सीमा से नीचे चली गई तो उन्हें स्वचालित भुगतान प्रदान किया गया।
वैश्विक अपनापन और भविष्य की संभावनाएँ
- अफ्रीका, प्रशांत द्वीप समूह और ब्रिटेन जैसे देशों ने विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए पैरामीट्रिक उत्पादों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
- 2024 में, नागालैंड भूस्खलन और अत्यधिक वर्षा के लिए बहु-वर्षीय पैरामीट्रिक कवर खरीदने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया।
- भारत के लिए पैरामीट्रिक बीमा को आवश्यक जलवायु अवसंरचना के रूप में मानना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ठीक उसी तरह जैसे भुगतान में UPI को माना जाता है।
- इसमें डेटा नेटवर्क का विस्तार, राज्य-स्तरीय अपनाने को बढ़ावा देना तथा सार्वजनिक आपदा प्रतिक्रियाओं में बीमा को एकीकृत करना शामिल है।