भारत-यूनाइटेड किंगडम मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) के रूप में ज्ञात भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा 'स्वर्ण मानक' के रूप में प्रशंसा की गई है। मंत्रालय का दावा है कि कृषि और श्रम-प्रधान विनिर्माण जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कोई समझौता नहीं किया गया है। हालाँकि, भारत की डिजिटल संप्रभुता पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंताएँ हैं, जिस पर न तो कोई आधिकारिक टिप्पणी हुई है और न ही मीडिया में कोई समीक्षा हुई है।
डिजिटल क्षेत्र में समझौते
- सोर्स कोड एक्सेस: भारत ने विदेशी डिजिटल वस्तुओं या सेवाओं के सोर्स कोड तक पहुँच पर अपना रुख बदल दिया है। इससे पहले, भारत सुरक्षा, संरक्षण और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सोर्स कोड तक पहुँच के अधिकार पर ज़ोर देता था। अमेरिका ने भी घरेलू नियामक पहुँच की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए अपने इसी रुख को वापस ले लिया है।
- ओपन सरकारी डेटा: भारत ने ब्रिटेन के पक्षों को 'ओपन सरकारी डेटा' के लिए समान और गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच प्रदान की है। डिजिटल युग में, डेटा एआई विकास के लिए अमूल्य है, और इस रियायत से भारत के प्रतिस्पर्धी लाभ और सुरक्षा से समझौता होने का खतरा है।
- डेटा प्रवाह और स्थानीयकरण: ऐसा प्रतीत होता है कि भारत ने डेटा प्रवाह और स्थानीयकरण पर अपना रुख बरकरार रखा है, लेकिन अन्य देशों को भी इसी तरह की रियायतें दिए जाने पर ब्रिटेन के साथ परामर्श करने पर सहमति जताई है। अमेरिका ने भी मुक्त डेटा प्रवाह और स्थानीयकरण पर अपने रुख में संशोधन के महत्व को पहचाना है।
डिजिटल संप्रभुता के निहितार्थ
- डिजिटल व्यापार समझौते दीर्घकालिक होते हैं और वैश्विक डिजिटल व्यवस्था को आकार देते हैं। भारत की रियायतों से डिजिटल स्वायत्तता का ह्रास हो सकता है।
- डिजिटल संप्रभुता की वकालत करने वाले किसी विशिष्ट वर्ग के बिना, प्रारंभिक औद्योगिकीकरण और औपनिवेशिक काल के दौरान हुए ऐतिहासिक नुकसानों को दोहराने का जोखिम है।
भविष्य की दिशाएं
- भारत को एक व्यापक डिजिटल संप्रभुता और 'डिजिटल औद्योगीकरण' नीति विकसित करनी चाहिए। इस नीति द्वारा भारत के डिजिटल भविष्य की रक्षा के लिए व्यापार वार्ताओं का मार्गदर्शन किया जाना चाहिए।
- वार्ताकारों में डिजिटल संप्रभुता विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए, जिनकी भारत के डिजिटल हितों की रक्षा के लिए शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व तक सीधी पहुंच हो।