भारत में संधारणीय इलेक्ट्रॉनिक्स को बढ़ावा देना
मई 2025 में, भारत ने मोबाइल फ़ोन और उपकरणों के लिए एक मरम्मत क्षमता सूचकांक (Repairability Index) के प्रस्ताव को स्वीकार करके संधारणीय इलेक्ट्रॉनिक्स की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। यह सूचकांक उत्पादों को उनकी मरम्मत में आसानी, स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता और सॉफ़्टवेयर सहायता के आधार पर रैंक करता है। इसके साथ ही, नई ई-अपशिष्ट नीतियों में अब औपचारिक रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करने के लिए न्यूनतम भुगतान शामिल हैं। इस पहल का उद्देश्य मरम्मत को उपभोक्ता का अधिकार और संरक्षण योग्य सांस्कृतिक एवं बौद्धिक संसाधन बनाना है।
भारत का डिजिटल और AI नीति परिदृश्य
- भारत की डिजिटल और AI नीतियाँ, जैसे- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर राष्ट्रीय रणनीति (NSAI), नवाचार और डेटा-संचालित शासन पर जोर देती है।
- अनौपचारिक मरम्मत और रख-रखाव अर्थव्यवस्था इन ढाँचों के भीतर काफी हद तक अदृश्य बनी हुई है।
- भारत में अनौपचारिक मरम्मतकर्ताओं के पास मौन ज्ञान होता है, जो भौतिक लचीलेपन के लिए महत्वपूर्ण है, जिसे अक्सर औपचारिक नीति में मान्यता नहीं दी जाती है।
अनौपचारिक मरम्मतकर्ताओं के सामने आने वाली चुनौतियाँ
- अनौपचारिक मरम्मत करने वाले, जैसे- मोबाइल मरम्मत करने वाले और उपकरण तकनीशियन, उत्पाद डिजाइनों के कम मरम्मत योग्य होने और उपभोक्ता द्वारा निपटान की ओर रूख करने के कारण चुनौतियों का सामना करते हैं।
- इसके परिणामस्वरूप आर्थिक अवसर नष्ट हो जाते हैं और डॉक्यूमेंट नहीं किए गए ज्ञान का विशाल भंडार अनदेखा रह जाता है।
- भारत की मरम्मत अर्थव्यवस्था में मौन ज्ञान को औपचारिक प्रशिक्षण के माध्यम से नहीं, बल्कि मार्गदर्शन और अवलोकन के माध्यम से पारित किया जाता है, जिससे इसे संहिताबद्ध करना कठिन हो जाता है।
वैश्विक और राष्ट्रीय मरम्मत अधिकार आंदोलन
- वैश्विक स्तर पर मरम्मत का अधिकार आंदोलन जोर पकड़ रहा है तथा यूरोपीय संघ स्पेयर पार्ट्स और मरम्मत संबंधी दस्तावेजों तक पहुंच के संबंध में नियम लागू कर रहा है।
- भारत में, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 2022 में मरम्मत के अधिकार का ढांचा शुरू किया, जिसका विस्तार इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और कृषि उपकरणों तक किया गया।
- भारत ने 2021-22 में 1.6 मिलियन टन से अधिक ई-कचरा उत्पन्न किया, जिससे वह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया।
अनौपचारिक मरम्मत कर्मचारियों का समर्थन
- वर्तमान राष्ट्रीय कौशल कार्यक्रम औपचारिक औद्योगिक भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं तथा मरम्मत कार्य के लिए आवश्यक तात्कालिक कौशल की उपेक्षा करते हैं।
- चक्रीयता को बढ़ावा देने वाली नीतियों से उस कार्यबल की अनदेखी का जोखिम है, जो इसे सक्षम बनाता है।
- मिशन लाइफ जैसी पहलें मरम्मत और पुनः उपयोग को बढ़ावा देती है, लेकिन श्रमिकों को सहयोग देने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
"अनमेकिंग" के लिए डिज़ाइनिंग
- अनुसंधान में उभरते विचार "अनमेकिंग" के लिए डिजाइनिंग का प्रस्ताव देते हैं, जहां उपकरणों को आसानी से अलग किया जा सकता है और उनका पुनः उपयोग किया जा सकता है, जिससे पुनः उपयोग के अवसर सामने आते हैं।
- यह दृष्टिकोण ब्रेकडाउन को फीडबैक लूप और व्यावहारिक अंतर्दृष्टि में बदल सकता है।
- मरम्मतकर्ता चक्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, फिर भी उन्हें अक्सर मान्यता नहीं मिलती है।
नीतिगत सिफारिशें
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को AI और खरीद नीतियों में मरम्मत योग्यता मानदंड को शामिल करना चाहिए।
- उपभोक्ता मामले विभाग उत्पाद वर्गीकरण और सामुदायिक भागीदारी को शामिल करने के लिए मरम्मत के अधिकार के ढांचे का विस्तार किया जा सकता है।
- ई-श्रम जैसे प्लेटफॉर्म अनौपचारिक मरम्मतकर्ताओं को औपचारिक रूप से मान्यता देनी चाहिए तथा उन्हें सामाजिक सुरक्षा और कौशल निर्माण योजनाओं से जोड़ना चाहिए।
- कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय को ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर विचार करना चाहिए, जो मरम्मत कार्य की मौन, निदानात्मक प्रकृति पर ध्यान केंद्रित करें।
इस पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने का अर्थ है उस शांत, मूर्त श्रम को महत्व देना जो डिजिटल और भौतिक जीवन को बनाए रखता है, जो एक मरम्मत-तैयार तकनीकी भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दार्शनिक माइकल पोलानी ने कहा था कि "हम जितना बता सकते हैं, उससे कहीं अधिक जानते हैं" और उन्होंने मानवीय बुद्धिमत्ता के संरक्षण के महत्व पर बल दिया था।