राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा मिशन
भारत सरकार 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित एक व्यापक राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा मिशन पर काम कर रही है। इस मिशन का लक्ष्य परमाणु ऊर्जा क्षमता को वर्तमान 8.8 गीगावाट से बढ़ाकर 2032 तक 22 गीगावाट और 2047 तक 100 गीगावाट तक पहुँचाना है।
क्षमता विस्तार योजना
- इस योजना में विभिन्न राज्यों में नये परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना शामिल है।
- भारतीय परमाणु विद्युत निगम लिमिटेड (NPCIL) और निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम स्थापित किए जाएंगे।
परामर्श प्रक्रिया
- नीति आयोग, NPCIL के साथ मिलकर, राज्य स्तरीय ऊर्जा प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए राज्य ऊर्जा मंत्रियों के साथ परामर्श कर रहा है।
परमाणु ऊर्जा का महत्व
- उद्योगों के लिए विश्वसनीय आधार-भार बिजली सुनिश्चित करने के लिए परमाणु ऊर्जा को प्राथमिकता दी जाती है।
- इसका उद्देश्य कोयले को धीरे-धीरे प्रतिस्थापित करना है तथा नवीकरणीय ऊर्जा की अस्थायी प्रकृति के कारण परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है।
चुनौतियाँ और समन्वय
- परमाणु संयंत्रों की लंबी निर्माण अवधि और उच्च पूंजीगत व्यय के कारण विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के बीच समन्वय आवश्यक है।
- इसमें शामिल विभागों में परमाणु ऊर्जा, विद्युत, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (DST), नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा (MNRE) तथा उद्योग संवर्धन (DPIIT) शामिल हैं।
नीति और कानूनी सुधार
- विद्युत अधिनियम, सुरक्षा विनियमन, दायित्व मानदंड, परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में प्रमुख संशोधन प्रस्तावित हैं।
तकनीकी नवाचारों की खोज
- छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs) की खोज की जा रही है, जिसके लिए 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए SMRs विकसित करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
निजी क्षेत्र की भागीदारी
- NPCIL कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में काम करेगी, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुगम बनाएगी।
सामरिक महत्व
परमाणु ऊर्जा मिशन भारत के लिए बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने, जीवाश्म ईंधन से संक्रमण करने और 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का प्रयास भी करना है।