अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता पर रुख
प्रधान मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की बातचीत में अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से समझौता नहीं करेगा, जो इस विषय पर भारत के दृढ़ रुख का प्रतीक है। यह बयान, खासकर अपने घरेलू बाजार को अमेरिकी कृषि उत्पादों, जैसे- GM मक्का, सोयाबीन, ईंधन इथेनॉल और डेयरी उत्पादों के लिए खोलने के खिलाफ भारत के रुख को स्पष्ट करता है।
भारत के दृढ़ रुख के कारण
- घरेलू राजनीति: भारतीय किसानों और संबंधित क्षेत्रों का हित सर्वोपरि है।
- अमेरिकी टैरिफ हमले: अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ नीतियों ने बातचीत के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल पैदा कर दिया है। इनमें भारतीय आयातों पर 50% शुल्क भी शामिल है। इसमें से 25% शुल्क को रूस से तेल खरीदने पर भारत के लिए "जुर्माना" माना जाता है।
- व्यापार वार्ता: व्यापार वार्ता की प्रकृति में लेन-देन की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान अमेरिकी नीतियां भारत के लिए रियायतें देने की गुंजाइश को सीमित करती हैं।
संभावनाएँ और चुनौतियाँ
- वर्तमान परिस्थितियों में, विशेषकर कृषि क्षेत्र में व्यापार वार्ता को पुनर्जीवित करना चुनौतीपूर्ण है।
- कैलिफोर्निया के ट्री नट उत्पादक सफल गैर-प्रतिकूल व्यापारिक तरीकों का प्रदर्शन करके रचनात्मक व्यापार वार्ता को प्रभावित कर सकते हैं।
- भारत के पास अमेरिका को समुद्री खाद्य, बासमती चावल, मसालों और आवश्यक तेलों के निर्यात का विस्तार करने के अवसर हैं।
- अमेरिका से संभावित आयात में आवश्यकता पड़ने पर भारत के पोल्ट्री और मवेशी क्षेत्रों के लिए मक्का और सोयाबीन शामिल हो सकते हैं।
अंततः इन वार्ताओं और व्यापार संबंधों की सफलता कॉमन सेंस और आपसी समझ पर निर्भर करती है।