ईरान की परमाणु स्थिति और राजनयिक जुड़ाव
ईरान के विदेश मंत्री ने परमाणु गतिरोध को हल करने के प्रयासों को पुनः शुरू करने के लिए देश की तत्परता व्यक्त की है।
संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के साथ सहयोग
- ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के साथ ईरान के सहयोग को "अपर्याप्त" माना है।
- ईरान ऐसे समाधानों के लिए तैयार है जो उसकी परमाणु स्थिति पर विश्वास पैदा करें।
अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक प्रयास
- संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के पुनः लागू होने के बाद अमेरिका और यूरोपीय शक्तियों ने ईरान से वार्ता पर लौटने का आग्रह किया है।
- ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी द्वारा ईरान पर 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाए जाने के बाद प्रतिबंधों को पुनः लागू कर दिया गया।
- ईरान ने इजरायल और अमेरिकी हवाई हमलों के बाद अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के निरीक्षकों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
IAEA के साथ रूपरेखा समझौता
- काहिरा में निरीक्षकों को ईरान में वापस आने की अनुमति देने के लिए एक रूपरेखा समझौते की घोषणा की गई।
- अराघची ने कहा कि काहिरा समझौता वर्तमान परिस्थितियों में अपर्याप्त है, जिसमें "स्नैपबैक मैकेनिज्म" भी शामिल है।
IAEA के साथ भावी जुड़ाव
- अराघची ने IAEA के साथ ईरान के भविष्य के जुड़ाव पर कोई स्पष्टता नहीं दी।
- इससे पहले, ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि से हटने की धमकी दी थी।
यूरोपीय देशों की भूमिका
- अराघची के अनुसार, भविष्य की वार्ता में यूरोपीय देशों की भूमिका कम हो गई है।
- अराघची ट्रम्प प्रशासन के साथ वार्ता में ईरान के मुख्य वार्ताकार थे, जो तेहरान पर इजरायल के हमले के बाद टूट गई थी।
निरंतर वार्ता की संभावनाएँ
- अराघची ने इस बात पर जोर दिया कि यदि दोनों पक्ष सद्भावना दिखाएं और आपसी हितों पर विचार करें तो वार्ता जारी रहने की संभावना है।
- हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हाल की कार्रवाइयों ने इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है।