भारत में UNHCR के संचालन पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी
हाल ही में एक सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने भारत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (UNHCR) के संचालन के बारे में चिंता व्यक्त की, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि UNHCR ने "एक शोरूम खोला है" और प्रमाण-पत्र जारी कर रहा है।
सुनवाई के मुख्य बिंदु
- अंतरिम संरक्षण का अनुरोध: सुप्रीम कोर्ट ने एक सूडानी नागरिक और उसके परिवार को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में शरण के लिए उनका अनुरोध संसाधित किया जा रहा है।
- UNHCR शरणार्थी कार्ड: परिवार के वकील ने इस बात पर प्रकाश डाला कि UNHCR ने उन्हें शरणार्थी कार्ड प्रदान किए हैं, तथा इस बात पर बल दिया कि इन कार्डों को प्राप्त करना एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें व्यापक जांच और विश्लेषण शामिल है।
- यह ध्यान दिया गया कि UNHCR से शरणार्थी का दर्जा प्राप्त लोगों के साथ अक्सर गृह मंत्रालय और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) द्वारा अलग तरह से व्यवहार किया जाता है।
- न्यायमूर्ति कांत की टिप्पणी: न्यायमूर्ति कांत ने UNHCR द्वारा प्रमाण-पत्र जारी करने पर टिप्पणी की, तथा उनके कार्यों के लिए समर्थन की कमी का सुझाव दिया।
- परिवार की आशंकाएं: परिवार ने हाल की घटनाओं के कारण भय व्यक्त किया, जहां कथित तौर पर अफ्रीकियों को उठाया जा रहा था, जिसके कारण उन्होंने अंतरिम सुरक्षा के लिए अनुरोध किया।
- शरणार्थियों पर भारत की कानूनी स्थिति: न्यायमूर्ति बागची ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत शरणार्थियों पर 1951 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, जिसका अर्थ है कि भारतीय नगरपालिका कानूनों के तहत शरणार्थियों के लिए कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC): वकील ने NHRC से संपर्क करने का उल्लेख किया, जिसने उनके मुद्दे का संज्ञान लिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने अंततः याचिका का निपटारा कर दिया तथा याचिकाकर्ता को आगे के निर्देशों के लिए आयोग से संपर्क करने की सलाह दी।