भारत का डिजिटल स्टैक और वैश्विक सहयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल ढांचे को विकसित करने के भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला और वैश्विक दक्षिण के लिए आशा की किरण बनने की इसकी क्षमता पर ज़ोर दिया। देश का लक्ष्य दुनिया भर में डिजिटल सहयोग और साझेदारी का विस्तार करना है।
भारत-यूके फिनटेक कॉरिडोर
- इससे नये स्टार्टअप के लिए अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
- लंदन स्टॉक एक्सचेंज और भारत के गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि एआई को “सर्व-समावेशी” होना चाहिए, नैतिक AI के लिए एक वैश्विक ढांचे का समर्थन करना चाहिए और पूरे भारत में AI के लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
वैश्विक डिजिटल सहयोग
- भारत के डिजिटल नवाचारों का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर डिजिटल साझेदारी को मजबूत करना है।
- वित्तीय एकीकरण पर ध्यान केन्द्रित करें, जुलाई में ब्रिटेन के साथ हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ उठाएं।
मॉड्यूलर ओपन-सोर्स आइडेंटिटी प्लेटफॉर्म (MOSIP)
- एमओएसआईपी भारत में विकसित किया गया है और इसे 25 से अधिक देशों ने संप्रभु डिजिटल पहचान प्रणाली के रूप में अपनाया है।
- इसे सहायता के बजाय डिजिटल सशक्तिकरण बताया गया।
भारत का डिजिटल बुनियादी ढांचा
- इसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली, भारत बिल भुगतान प्रणाली, भारतक्यूआर, डिजीलॉकर, डिजीयात्रा, सरकारी ई-मार्केटप्लेस जैसी प्रणालियाँ शामिल हैं।
AI प्रभाव शिखर सम्मेलन
- अगले वर्ष ब्रिटेन में एआई सुरक्षा शिखर सम्मेलन के बाद भारत में इसका आयोजन किया जाएगा।
- वैश्विक व्यापार और साझेदारी को बढ़ाने के प्रयासों का एक हिस्सा।
भारत का एआई मिशन
नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स के लिए प्रौद्योगिकी तक सस्ती और आसान पहुंच प्रदान करने के लिए उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्षमता के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- न्यायसंगत पहुंच, जनसंख्या-स्तर पर मापन और जिम्मेदार तैनाती के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित।
- इसका उद्देश्य डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना अनुभव का उपयोग करके एआई को और आगे बढ़ाना है।