सावलकोट जलविद्युत परियोजना अवलोकन
जम्मू और कश्मीर के रामबन में चिनाब नदी पर सावलकोट जलविद्युत परियोजना का निर्माण किया जाना है। इस परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय की एक शीर्ष समिति से नई पर्यावरणीय मंज़ूरी मिल गई है। यह भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) के निलंबन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।
परियोजना अनुमोदन और पर्यावरणीय मंजूरी
- इस परियोजना को प्रारम्भ में 2017 में एक नामित समिति द्वारा पर्यावरणीय मंज़ूरी प्रदान की गई थी।
- 2021 में, जम्मू और कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (JKPDC) ने इस परियोजना को राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (NHPC) लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया, जो 2061 तक इसका प्रबंधन करेगा।
- सितंबर 2023 में 'चरण 1 वन मंजूरी' प्राप्त की गई।
- जुलाई 2025 में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और केंद्रीय जल आयोग से विभिन्न स्वीकृतियां प्रदान की गईं।
- वन अधिकार अधिनियम के तहत आवश्यक सार्वजनिक सुनवाई दिसंबर 2022 और फरवरी 2023 के बीच आयोजित की गई।
सामरिक महत्व और विशिष्टताएँ
- भंडारण बांध के अभाव के बावजूद यह परियोजना अपने आकार और आईडब्ल्यूटी के निलंबन के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
- इसमें 192.5 मीटर ऊंचा रोलर कॉम्पैक्टेड कंक्रीट (RCC) गुरुत्वाकर्षण बांध शामिल है।
- विद्युत उत्पादन इकाइयों में प्रथम चरण में 225 मेगावाट की छह इकाइयां तथा 56 मेगावाट की एक इकाई शामिल होगी, जबकि दूसरे चरण में 225 मेगावाट की दो अतिरिक्त इकाइयां होंगी।
वित्तीय और पर्यावरणीय पहलू
- अनुमानित परियोजना लागत ₹22,000 करोड़ से बढ़कर ₹31,380 करोड़ हो गई है।
- स्थापित क्षमता 1856 मेगावाट होने का अनुमान है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 8,000 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।
- जलाशय क्षेत्र लगभग 1,159 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा, जिसमें 847 हेक्टेयर वन भूमि भी शामिल है।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
- इस परियोजना से रामबन और गूल संगलदान तहसीलों के 13 गांव प्रभावित होंगे तथा 1,477 परिवार विस्थापित होंगे।
- प्रभावित परिवारों के लिए 190 करोड़ रुपये का पुनर्वासन प्रावधान किया गया है।
यह परियोजना पूर्वी सिंधु नदियों के उपयोग को अधिकतम करने तथा क्षेत्र में जल विद्युत विकास में तेजी लाने की भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है।