IMEC का भविष्य | Current Affairs | Vision IAS

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    IMEC का भविष्य

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    भारत में आर्थिक संबंधों का विविधीकरण

    अमेरिका के साथ हालिया व्यापारिक विवादों के बीच, भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी आर्थिक गतिविधियों में विविधता लाने की दिशा में काम कर रहा है। इसमें ब्रिटेन के साथ समझौते और यूरोपीय संघ के साथ चल रही बातचीत शामिल है।

    भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)

    • IMEC का उद्देश्य भारत और अरब प्रायद्वीप के बीच समुद्री संपर्क को बढ़ाना है।
    • इसमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बंदरगाहों से सऊदी अरब और जॉर्डन से होते हुए इज़राइल के हाइफ़ा बंदरगाह तक हाई-स्पीड ट्रेनों का प्रस्ताव है।
    • इसके तहत स्वच्छ हाइड्रोजन, बिजली के केबल और समुद्र के नीचे डिजिटल केबल के लिए अवसंरचना विकसित करने की योजना है।
    • यह यूरोपीय देशों के साथ व्यापार को सुगम बनाने के लिए मौजूदा बंदरगाह अवसंरचना को सुदृढ़ करना चाहता है।

    भू-राजनीतिक संदर्भ और घटनाक्रम

    2023 में IMEC के संचालन को अनुकूल भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से बल मिला, जिसमें अब्राहम समझौता और भारत-अरब संबंधों में सुधार शामिल है।

    • भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के हितों के अभिसरण के कारण I2U2 ढाँचे का उदय हुआ।
    • दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ और फ्रांस, जर्मनी, इटली तथा सऊदी अरब जैसे देशों द्वारा IMEC का समर्थन किया गया।

    चुनौतियाँ और रणनीतिक महत्व

    • पश्चिम एशिया में हालिया संघर्षों, जैसे कि हमास के हमलों ने, IMEC की व्यवहार्यता पर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
    • जलवायु परिवर्तन ने नए आर्कटिक परिवहन मार्ग खोल दिए हैं, जिससे अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों को लाभ हो रहा है।
    • इटली और अन्य भूमध्यसागरीय देश IMEC को अपने समुद्री व्यापार प्रभाव को बनाए रखने के लिए आवश्यक मानते हैं।

    भारत की आर्थिक रणनीति

    आर्कटिक मार्गों की अनिश्चितताओं के बावजूद, यूरोप के आर्थिक महत्व के कारण भारत भूमध्य सागर के रास्ते यूरोपीय बाजारों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है।

    • 136 बिलियन डॉलर से अधिक के व्यापार के साथ यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
    • भारत और यूरोप को लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स बढ़ाने की आवश्यकता है।

    सुरक्षा और आर्थिक अवसर

    • समुद्री मार्गों की अप्रत्याशित सुरक्षा, जैसा कि लाल सागर में हूती विद्रोहियों द्वारा उत्पन्न व्यवधान से स्पष्ट है, व्यापार के लिए नए मार्ग खोजने को आवश्यक बनाती है।
    • IMEC भू-राजनीतिक परिवर्तनों के अनुकूल होने के लिए अभिनव दृष्टिकोण हेतु एक मंच प्रदान करता है।
    • आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए सऊदी अरब और मिस्र के वाणिज्यिक केंद्रों के साथ जुड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

    निष्कर्ष

    IMEC की सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करते हुए, भारत-यूरोप संबंधों के आर्थिक अवसरों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। भारत और यूरोप के बीच सहयोग IMEC क्षेत्र में समृद्धि को बढ़ावा दे सकता है।

    • Tags :
    • India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC)
    • India-Arab relations
    • I2U2 framework
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