संयुक्त राष्ट्र की चुनौतियाँ और सुधार
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) के सामने मौजूद महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की वर्तमान स्थिति की आलोचना करते हुए कहा कि जब पाकिस्तान जैसे सदस्य देश पहलगाम जैसे आतंकवादी हमलों के लिए ज़िम्मेदार संगठनों को संरक्षण देते हैं, तो इसकी विश्वसनीयता पर आंच आती है।
प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला गया
- सुरक्षा परिषद संरक्षण: जयशंकर ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कुछ सदस्य आतंकवादी समूहों को संरक्षण देते हैं, जो बहुपक्षवाद को कमजोर करता है।
- निर्णय लेने की प्रक्रिया: संयुक्त राष्ट्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया की आलोचना इस बात के लिए की जाती है कि यह इसकी सदस्यता को प्रतिबिंबित नहीं करती या वैश्विक प्राथमिकताओं को संबोधित नहीं करती।
- ध्रुवीकृत बहसें: चर्चाओं में बढ़ता ध्रुवीकरण और गतिरोध प्रभावी कार्यप्रणाली में बाधा डालते हैं।
- सुधार बाधाएं: सुधारों को लागू करने के लिए अपनाई गई प्रक्रियाएं ही उन्हें बाधित करती हैं।
- वित्तीय बाधाएं: एक नई चुनौती के रूप में उभर रही वित्तीय बाधाएं संयुक्त राष्ट्र की स्थिरता के लिए खतरा हैं।
आतंकवाद और विकास पर चिंताएँ
- पीड़ितों और अपराधियों की तुलना: जयशंकर ने वैश्विक रणनीतियों की आलोचना की जो पीड़ितों को आतंकवादियों के समान मानती हैं।
- सतत विकास लक्ष्य एजेंडा 2030: सतत विकास लक्ष्यों की धीमी प्रगति वैश्विक दक्षिण में संकट को उजागर करती है।
सतत बहुपक्षवाद का आह्वान
चुनौतियों के बावजूद, जयशंकर ने बहुपक्षवाद को बनाए रखने और इन संकटों के दौरान संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में नए सिरे से विश्वास का आह्वान किया।