पांडुलिपियों पर ज्ञान भारतम मिशन
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत ज्ञान भारतम मिशन, भारत में पांडुलिपियों के संरक्षण, रखरखाव और डिजिटलीकरण के लिए समर्पित है। 25 अक्टूबर, 2025 को, यह मिशन लगभग 20 संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर करेगा, और इसके तुरंत बाद 30 और संस्थान इसमें शामिल हो जाएँगे।
शामिल प्रमुख संस्थान
- एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता
- कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज
- सरकारी ओरिएंटल पांडुलिपि पुस्तकालय, चेन्नई
मिशन के उद्देश्य
- भारत की विशाल पांडुलिपि विरासत की पहचान करना , उसका दस्तावेजीकरण करना , संरक्षण करना , डिजिटलीकरण करना और उसे बढ़ावा देना ।
- पांडुलिपि विरासत के वैश्विक साझाकरण के लिए राष्ट्रीय डिजिटल भंडार (NDR) की स्थापना करना।
केंद्र वर्गीकरण
- क्लस्टर केंद्र: अपने स्वयं के और नामित क्लस्टर पार्टनर केंद्रों की पांडुलिपि गतिविधियों (20 भागीदारों तक) के लिए जिम्मेदार।
- स्वतंत्र केंद्र: केवल अपने स्वयं के पांडुलिपि संग्रह पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
समर्थन और गतिविधियाँ
- ज्ञान भारतम रूपरेखा, मार्गदर्शन, निगरानी, समर्थन, वित्त पोषण, उपकरण और बजट आवंटन प्रदान करता है।
- गतिविधियों में शामिल हैं:
- सर्वेक्षण और सूचीकरण
- संरक्षण और क्षमता निर्माण
- प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण
- भाषाविज्ञान और अनुवाद
- अनुसंधान, प्रकाशन और आउटरीच
ज्ञान भारतम् प्रकोष्ठ
केन्द्रों को केन्द्र का प्रतिनिधित्व करने, संचार को सुविधाजनक बनाने तथा सुचारू समन्वय सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित ज्ञान भारतम् प्रकोष्ठ की स्थापना करनी चाहिए।
वित्तीय पहलू
- कार्यान्वयन कार्यक्रम और लक्ष्यों के आधार पर चरणबद्ध किश्तों में धनराशि जारी की जाती है।
- पहली किस्त (70%) वार्षिक बजट अनुमोदन पर वितरित की जाती है।
- दूसरी किस्त (30%) प्रगति रिपोर्ट, उपयोग प्रमाण पत्र, व्यय विवरण और गुणवत्ता सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर निर्भर करती है।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
संस्कृति मंत्रालय ने पिछले महीने भारतीय पांडुलिपियों पर पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जिसका शीर्षक था "पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना" ।