राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन (National One Health Mission - NOHM) | Current Affairs | Vision IAS
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राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन (National One Health Mission - NOHM)

23 Dec 2025
1 min

In Summary

राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य भारत में मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य प्रणालियों को एकीकृत करना है ताकि प्रकोप की बेहतर भविष्यवाणी, रोकथाम और प्रतिक्रिया हो सके, वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा और जैव विविधता संरक्षण को मजबूत किया जा सके।

In Summary

सुर्ख़ियों में क्यों?

भारत सरकार राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन (NOHM) शुरू करने जा रही है।

राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के बारे में

  • यह एक बहु-क्षेत्रक पहल है, जिसमें मानव, पशुधन, वन्यजीव और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जाता है। इसका उद्देश्य समन्वित निगरानी, निदान और रोग प्रकोप अनुक्रिया को सुदृढ़ करना है।
  • विजन: बेहतर स्वास्थ्य परिणामों, बेहतर उत्पादकता और जैव विविधता के संरक्षण के लिए मानव, पशु और पर्यावरण क्षेत्रक को एक साथ लाकर भारत में एक 'एकीकृत रोग नियंत्रण और महामारी तत्परता प्रणाली' का निर्माण करना।
  • अनुमोदन: इसका अनुमोदन वर्ष 2022 में 'प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद' (PM-STIAC) की 21वीं बैठक में किया गया था।
  • नोडल एजेंसी: यह 'प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार' (PSA) के कार्यालय के तहत भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा संचालित है।
  • प्रमुख संस्थान: राष्ट्रीय वन हेल्थ संस्थान, नागपुर।

वन हेल्थ मिशन के मुख्य स्तंभ:

  • अनुसंधान और विकास (R&D): टीके (वैक्सीन), निदान (डायग्नोस्टिक्स) उपकरण और चिकित्साशास्त्र (Therapeutics) जैसे आवश्यक साधनों के विकास हेतु लक्षित अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना।
  • नैदानिक तत्परता: नैदानिक देखभाल अवसंरचना और अनुक्रिया क्षमताओं के मामले में तत्परता को बढ़ाना।
  • आंकड़ों का एकीकरण: बेहतर पहुंच और विश्लेषण के लिए मानव, पशु और पर्यावरण क्षेत्रकों में आंकड़ों और सूचनाओं के एकीकरण को सुव्यवस्थित रूप देना।
  • सामुदायिक सहभागिता: निरंतर अनुक्रिया तत्परता को बनाए रखने के लिए परस्पर सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करना।

'वन हेल्थ' दृष्टिकोण के बारे में:

  • यह एक एकीकृत, समेकित दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य लोगों, पशुओं और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को संधारणीय रूप से संतुलित और अनुकूलित करना है।
  • यह कोविड-19 महामारी जैसे वैश्विक स्वास्थ्य खतरों को रोकने, उनका पूर्वानुमान लगाने, पता लगाने और उन पर प्रतिक्रिया देने के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।

इस मिशन की आवश्यकता क्यों है?

  • पशुजन्य जोखिम न्यूनीकरण: यह इस वैश्विक प्रमाण पर आधारित है कि लगभग 60% उभरते संक्रामक रोग मूलतः जूनोटिक (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले) होते हैं। 
    • इससे संभावित 'रोग-प्रसार (Spillover)' की घटनाओं की समय रहते पहचान और रोकथाम की भारत की क्षमता बढ़ेगी।
  • महामारी के रोकथाम की तत्परता: यह एक पूर्वानुमानित और निवारक स्वास्थ्य-सुरक्षा ढांचा स्थापित करता है। यह ढांचा भारत को 'प्रतिक्रियात्मक मॉडल' से 'अग्रिम, प्रणाली-आधारित लोक स्वास्थ्य फ्रेमवर्क' की ओर ले जाएगा।
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) में वृद्धि: मनुष्यों, पशुधन और जलीय कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं के अनुचित उपयोग के कारण दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता तेजी से बढ़ रही है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: जलवायु के बदलते प्रतिरूप मच्छरों जैसे रोगवाहकों (Vectors) के प्रसार क्षेत्र का विस्तार कर रहे हैं। इसके कारण डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का प्रसार बढ़ रहा है।
  • आजीविका सुरक्षा: पशुधन स्वास्थ्यउत्पादकता और रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इससे किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र का स्वास्थ्य: यह पहल वन्यजीव रोग निगरानी और जैव विविधता निगरानी को सुदृढ़ बनाती है। इससे पारिस्थितिक सुरक्षा को सुदृढ़ होती है और पर्यावरण से संबंधित रोग गतिशीलता का प्रभावी समाधान संभव होता है।
  • वैश्विक समन्वय: इस मिशन के चलते भारत अपनी स्वास्थ्य नीतियों और कार्यप्रणाली को WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन), FAO (खाद्य और कृषि संगठन), WOAH (पशु स्वास्थ्य संगठन) और UNEP (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम) द्वारा मिलकर अपनाए गए "वन हेल्थ" (One Health) दृष्टिकोण के अनुरूप बना रहा है। इससे भारत एकीकृत स्वास्थ्य प्रशासन में एक क्षेत्रीय नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है।

वन-हेल्थ दृष्टिकोण से संबंधित पहलें:

  • NCDC में वन हेल्थ केंद्र (CoH): यह केंद्र विभिन्न विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करता है। यह रेबीज, जूनोसिस, लेप्टोस्पायरोसिस और सर्पदंश जैसे रोगों से संबंधित कार्यक्रम चलाता है। भारत में वन हेल्थ दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और संस्थागत रूप देने का कार्य करता है।
  • पशुपालन और डेयरी विभाग में 'वन हेल्थ सपोर्ट यूनिट': यह विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम है, जिसमें पशु चिकित्सा, मानव स्वास्थ्य, वन्यजीव और डेटा विशेषज्ञ शामिल हैं। इस इकाई का उद्देश्य भारत में राष्ट्रीय वन हेल्थ फ्रेमवर्क को प्रभावी रूप से लागू करना है। 
  • BSL-3/4 प्रयोगशाला नेटवर्क: यह उच्च सुरक्षा वाली प्रयोगशालाओं का राष्ट्रीय नेटवर्क है। यह विभिन्न क्षेत्रकों में मानव, पशु और पर्यावरण से संबंधित संक्रामक रोग प्रकोपों के त्वरित परीक्षण और विश्लेषण में सहायक है।
  • वन हेल्थ संयुक्त कार्य योजना या वन हेल्थ ज्वाइंट प्लान ऑफ एक्शन (OH JPA): यह 2022–2026 की अवधि के लिए एक सहयोगात्मक कार्य ढाँचा है। इसे चतुर्पक्षीय गठबंधन (FAO, UNEP, WHO, WOAH) द्वारा बनाया गया है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर वन हेल्थ दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।

आगे की राह

  • वैधानिक अधिदेश: मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य क्षेत्रों के बीच समन्वय को संस्थागत रूप देने के लिए एक सांविधिक एवं औपचारिक रूप से अधिसूचित अंतर-क्षेत्रक समन्वय प्राधिकरण स्थापित करना चाहिए।
  • क्षमता निर्माण: तकनीकी और परिचालन क्षमता को मजबूत करने के लिए पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान, वन्यजीव रोग निगरानी, जीनोमिक विज्ञान और फील्ड डायग्नोस्टिक्स में व्यवस्थित प्रशिक्षण को प्राथमिकता देना।
  • राज्य स्तर पर सुदृढ़ीकरण: विकेंद्रीकृत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए समर्पित वित्तीय संसाधनों, प्रशिक्षित जनशक्ति और तकनीकी सहायता के साथ 'राज्य वन हेल्थ सेल' की स्थापना करना।
  • बेहतर निदान और तकनीकी नवाचार: विभिन्न मंत्रालयों के बीच वास्तविक समय आधारित डेटा एकीकरण, जोखिम मूल्यांकन और समन्वित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए एकीकृत 'राष्ट्रीय वन हेल्थ डिजिटल प्लेटफॉर्म' विकसित करना।
  • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: चूंकि जलवायु परिवर्तन रोगों के प्रसार की प्रकृति और गति को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इसके प्रभावों पर शोध और जलवायु-अनुकूल रोग नियंत्रण रणनीतियों का विकास करना आवश्यक है।
  • वैश्विक भागीदारी: वैश्विक मानकों के अनुरूप ढलने और सीमा पार रोगों से निपटने की तैयारी को बढ़ाने के लिए WHO, FAO, WOAH, UNEP और क्षेत्रीय 'वन हेल्थ' नेटवर्क के साथ रणनीतिक सहयोग का विस्तार किया जाए।

निष्कर्ष:

यह मिशन मानव, पशु और पर्यावरणीय प्रणालियों को एक समेकित, अग्रिम स्वास्थ्य शासन' की ओर बदलाव को दर्शाता है। निरंतर समन्वय और निवेश के साथ ही, यह भारत को जूनोटिक पर्यावरणीय और उभरते सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों के प्रबंधन के लिए एक वैश्विक मॉडल के रूप में स्थापित कर सकता है।

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