सुर्ख़ियों में क्यों?
भारत ने सिकल सेल रोगों के उपचार के लिए अपनी पहली स्वदेशी क्रिस्पर-आधारित (CRISPR-based) जीन एडिटिंग थेरेपी विकसित की है। इसे बिरसा-101 (BIRSA-101) नाम दिया गया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- इसे CSIR-जीनोमिक्स और एकीकृत जीव विज्ञान संस्थान (IGIB) द्वारा विकसित किया गया है।
- इसका नाम BIRSA-101 रखा गया है क्योंकि इसे भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उन्हें समर्पित किया गया है।
- CSIR-IGIB और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के बीच एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता किया गया है। इस समझौते का उद्देश्य सिकल सेल रोगों और अन्य आनुवंशिक विकारों के लिए किफायती और बड़े पैमाने पर उपलब्ध और स्वदेशी 'enFnCas9' क्रिस्पर-आधारित थेरेपी उपलब्ध कराना है।
क्रिस्पर प्रौद्योगिकी और कार्यप्रणाली
- क्रिस्पर (CRISPR) का पूरा नाम है - क्लस्टर्ड रेग्युलेरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पेलिन्ड्रोमिक रीपीट्स (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats)
- यह जीवित जीवों के डीएनए (DNA) को चयनात्मक रूप से संशोधित करने वाली एक जीन-संपादन तकनीक है।
यह कैसे कार्य करता है?
- क्रिस्पर तकनीक एक विशिष्ट स्थान पर डीएनए (DNA) को काटने के लिए जीवाणु (बैक्टीरिया) के एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र का उपयोग करती है।
- जब विषाणु (वायरस) किसी जीवाणु पर हमला करता है, तो जीवाणु उस विषाणु के DNA का एक हिस्सा अपने DNA में संग्रहित कर लेता है।
- विषाणुओं के आनुवंशिक कोड का यह संग्रह जीवाणुओं को उसे पहचानने और याद रखने में मदद करता है।
- जब वही विषाणु दोबारा हमला करता है, तो जीवाणु CRISPR-संबंधित प्रोटीन CAS9 की सहायता से विषाणु के DNA को काट देता हैं, जिससे विषाणु नष्ट हो जाता है।
- प्रयोगशाला में वैज्ञानिक इसी प्रणाली का उपयोग विशिष्ट DNA अनुक्रम की पहचान करने और उसे काटने के लिए करते हैं।
प्रमुख घटक:
- Cas9 प्रोटीन: इस प्रणाली में Cas प्रोटीन का उपयोग किया जाता है जिसे Cas9 कहा जाता है। यह 'आणविक कैंची' (Molecular Scissors) की तरह काम करता है और DNA को काटता है।
- गाइड RNA (gRNA): यह Cas9 को निर्देश देता है कि DNA के किस हिस्से को काटना है। डीएनए को ठीक उसी जगह काटा जाता है जिसे इस गाइड द्वारा चुना/निर्धारित किया गया है।

जीनोम संपादन उपकरण
- CRISPR-Cas9: इसमें एक छोटा आरएनए (RNA) अणु Cas9 प्रोटीन को DNA के निर्धारित स्थान तक ले जाता है, जहाँ कट लगाया जाता है।
- होमिंग एंडोन्यूक्लीज (मेगा-न्यूक्लीज): ये प्राकृतिक एंजाइम होते हैं, जो DNA के लंबे और विशिष्ट अनुक्रमों को पहचानकर उन्हें काट सकते हैं।
- जिंक-फिंगर न्यूक्लिएज (ZFNs): ये डीएनए (DNA) में सही स्थान को खोजने और फिर उसे काटने के लिए विशिष्ट प्रोटीन खंडों का उपयोग करते हैं।
- TALE न्यूक्लिएज (TALENs): ये उपकरण दो भागों का उपयोग करते हैं जो एक साथ मिलकर किसी चुने हुए स्थान पर डीएनए को काटते हैं।
संबंधित सुर्खियांTnpB-आधारित तकनीकICAR–CRRI (केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान), कटक के भारतीय वैज्ञानिकों ने TnpB प्रोटीन का उपयोग करके पौधों के लिए एक नया जीनोम-संपादन उपकरण विकसित किया है, जिसे पेटेंट प्रदान किया गया है।
ग्लो-कैस9 (GlowCas9)
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