मुद्रास्फीति अवलोकन - मई 2025
मई 2025 के मुद्रास्फीति के आंकड़े एक महीने के भीतर आर्थिक संकेतकों में महत्वपूर्ण बदलावों को उजागर करते हैं।
खुदरा और थोक मुद्रास्फीति
- खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 75 महीने के निम्नतम स्तर 2.8% पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में कमी थी।
- थोक मुद्रास्फीति घटकर 0.4% हो गई, जो एक वर्ष से अधिक समय में सबसे कम है।
- थोक मुद्रास्फीति में गिरावट कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों में 12.4% की महत्वपूर्ण गिरावट के कारण हुई है।
- तेल की अधिक आपूर्ति और धीमी होती वैश्विक अर्थव्यवस्था ने तेल की कीमतों में गिरावट में योगदान दिया।
- भारत, अपनी तेल आवश्यकताओं का लगभग 80% आयात करता है, इस कारण वैश्विक स्तर पर तेल की कम कीमतों से भारत को लाभ हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पूर्वानुमान
- आरबीआई ने वार्षिक मुद्रास्फीति दर औसतन 3.7% रहने का अनुमान लगाया है, जो अप्रैल में लगाए गए 4% के अनुमान से कम है।
- विश्लेषकों का सुझाव है कि खुदरा मुद्रास्फीति जून में 2% तक गिर सकती है, जो आरबीआई द्वारा निर्धारित दायरे का निचला स्तर है।
मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाले कारक
- जून में ईरान पर इजरायल के हमले के कारण एक ही दिन में तेल की कीमतों में 8% की वृद्धि हो गयी थी।
- तनाव में संभावित वृद्धि से शिपिंग लागत में 40%-50% की वृद्धि हो सकती है, जिससे भारत की तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
- भारत का वाणिज्य मंत्रालय इस संकट को कम करने के लिए व्यापार और शिपिंग हितधारकों के साथ चर्चा करने की योजना बना रहा है।
- खाद्य कीमतों को नियंत्रित बनाए रखने के लिए मानसून का सामान्य रहना आवश्यक है; अतीत में मानसून के असमान वितरण ने कृषि क्षेत्रक को दुस्प्रभावित किया है।
मौद्रिक नीति रुख
- आरबीआई ने 'तटस्थ' रुख अपनाया, जिससे आर्थिक परिवर्तनों के अनुरूप ब्याज दरों को समायोजित करने की तत्परता का संकेत मिला।
- अस्थिर वैश्विक और घरेलू घटनाक्रम सख्त मौद्रिक नीति की आवश्यकता को उजागर करते हैं।