भारत में खतरनाक सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कराए गए सोशल ऑडिट में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई में लगे श्रमिकों के लिए सुरक्षा उपायों की गंभीर कमी पर प्रकाश डाला गया है।
सोशल ऑडिट के प्रमुख निष्कर्ष
- जोखिमपूर्ण सफाई कार्यों के कारण जान गवाने वाले 90% से अधिक श्रमिकों के पास सुरक्षा गियर या व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का अभाव था।
- 2022 और 2023 में आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 17 जिलों से विश्लेषण की गई 54 मौतों में से कुछ मामलों में केवल न्यूनतम सुरक्षा उपकरण जैसे दस्ताने और गमबूट का उपयोग किया गया था।
- 49 मामलों में कोई सुरक्षा उपकरण इस्तेमाल नहीं किया गया था, तथा केवल दो मामले ऐसे पाए गए जहां मशीनीकृत उपकरण उपलब्ध कराए गए थे।
- 45 मामलों में उपकरण की तैयारी का अभाव पाया गया।
जागरूकता और सहमति
- जागरूकता अभियानों का अभाव देखा गया, केवल सात मामलों में ही आंशिक जागरूकता प्रयास किए गए।
- 27 मामलों में श्रमिकों से कोई सहमति नहीं ली गई थी, और जब सहमति दी भी गई, तो जोखिमों के बारे में उचित ढंग से सूचित नहीं किया गया।
नमस्ते योजना
- जोखिमपूर्ण सफाई के तरीकों से निपटने के लिए जुलाई 2023 में शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 84,902 सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारियों की पहचान की गई है।
- इनमें से केवल आधे को ही PPE किट प्राप्त हुई है, ओडिशा एक अपवाद है, जहां सभी चिन्हित श्रमिकों को किट प्राप्त हुई हैं।
- 707 सफाई कर्मचारियों को 20 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजीगत सब्सिडी आवंटित की गई है, तथा जोखिमपूर्ण सफाई रोकथाम पर लगभग 1,000 कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
ऑडिट और उसके बाद की रिपोर्टें श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों और सुरक्षा उपायों तथा जागरूकता पहलों के व्यापक कार्यान्वयन की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।