भारत में मोटापा और इसका बढ़ता खतरा
भारतीय समुदायों में कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई पर मोटापे की बढ़ती समस्या हावी हो रही है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम विशेष रूप से कैंसर उत्पन्न हो रहे हैं।
वर्तमान स्थिति और आँकड़े
- लगभग 20% भारतीय घरों में सभी वयस्क अधिक वजन वाले तथा 10% मोटे हैं।
- तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों में 40% घरों में सभी वयस्क मोटापे से ग्रस्त हैं।
- शहरी क्षेत्रों में मोटापे की दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में दोगुनी है।
पीढ़ी दर पीढ़ी और पर्यावरणीय प्रभाव
- घरों में मोटापा पीढ़ी दर पीढ़ी अस्वास्थ्यकर आहार और जीवनशैली को बढ़ावा देता है।
- साझा पर्यावरणीय और व्यवहारगत कारक इस समूहीकरण में योगदान करते हैं।
कैंसर से संबंध
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की कैंसर अनुसंधान हेतु अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ने शरीर के अतिरिक्त वजन को कैंसर का एक महत्वपूर्ण जोखिम माना है।
- मोटापा कम से कम 13 प्रकार के कैंसरों से जुड़ा हुआ है, जिनमें कोलोरेक्टल, स्तन (रजोनिवृत्ति के बाद) और अग्नाशय के कैंसर शामिल हैं।
- IARC के एक अध्ययन (2023) में पाया गया है कि उच्च BMI हृदय रोगों से पीड़ित लोगों में कैंसर का खतरा 17% तक बढ़ा देता है।
जैविक मार्ग और आर्थिक निहितार्थ
- इसके कारणों में हाइपरइंसुलिनमिया, दीर्घकालिक सूजन, हार्मोनल व्यवधान और कार्डियो-मेटाबोलिक डिसफंक्शन शामिल हैं।
- कैंसर के उपचार की लागत परिवारों के लिए, विशेष रूप से उन परिवारों के लिए, जिनमें कई सदस्य कैंसर से प्रभावित हैं, आर्थिक रूप से विनाशकारी हो सकती है।
रोकथाम और सरकारी पहल
- परिवार स्तर पर मोटापे की रोकथाम को लक्षित करना।
- सरकार की योजना 2025-26 तक जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर स्थापित करने की है।
- विशेषकर दक्षिणी राज्यों और शहरी क्षेत्रों में उच्च जोखिम वाले परिवारों को लक्षित करने वाले कार्यक्रमों का विस्तार करना।
नियामक और समुदाय-आधारित हस्तक्षेप
- शर्करायुक्त पेय पदार्थों पर कर लागू करना तथा पोषण लेबलिंग अनिवार्य करना।
- परिवारों को स्वास्थ्यवर्धक खरीदारी, खाना पकाने और व्यायाम की आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- पैदल चलने योग्य पड़ोस बनाना और शहरी/ कार्य वातावरण में शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना।
भारत में मोटापे की समस्या से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। अभी से निवारक उपाय भविष्य में कैंसर के खतरों को टाल सकते हैं, जो व्यापक मोटापा निवारण रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।