Select Your Preferred Language

Please choose your language to continue.

विक्रम सिंह मेहता: ऊर्जा सुरक्षा के लिए, एक नया स्वरूप | Current Affairs | Vision IAS

Daily News Summary

Get concise and efficient summaries of key articles from prominent newspapers. Our daily news digest ensures quick reading and easy understanding, helping you stay informed about important events and developments without spending hours going through full articles. Perfect for focused and timely updates.

News Summary

Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat

विक्रम सिंह मेहता: ऊर्जा सुरक्षा के लिए, एक नया स्वरूप

1 min read

भारत में ऊर्जा सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा

ऊर्जा सुरक्षा पारंपरिक रूप से जीवाश्म ईंधन की पहुँच, विश्वसनीयता और सामर्थ्य पर केंद्रित रही है। हालाँकि, वैश्विक तापमान वृद्धि और 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य को देखते हुए यह दृष्टिकोण संकीर्ण है। भारत की ऊर्जा रणनीति में दो मुख्य दिशाएँ शामिल हैं: जीवाश्म ईंधन की माँग (कोयला, तेल और गैस) और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत (सौर, पवन, जैव ईंधन, आदि)। देश का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करते हुए अपनी ऊर्जा खपत में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना है।

वर्तमान ऊर्जा सुरक्षा की स्थिति 

  • भारत ने कच्चे तेल के अपने स्रोतों में विविधता ला दी है और रूस पर प्रतिबंध लगाने के अंतर्राष्ट्रीय दबाव का विरोध किया है, जिससे एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित हुई है। 
  • भारत के आयात बास्केट में रूसी कच्चे तेल की हिस्सेदारी 2021-22 के 2.1% से बढ़कर 2024-25 में 35.1% हो गई, जिससे आयातित कच्चे तेल की औसत लागत कम से कम 2 डॉलर प्रति बैरल कम हो गई। 
  • दक्षता में सुधार के कारण प्रति सकल घरेलू उत्पाद इकाई में जीवाश्म ईंधन की मांग में कमी आई। 

नवीकरणीय ऊर्जा विकास में चुनौतियाँ 

  • यद्यपि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में प्रभावशाली वृद्धि (बिजली उत्पादन क्षमता के 19% से 49% तक) हुई है, फिर भी विकास दर धीमी हो गई है। 
  • उत्पादन क्षमता और आवश्यक पारेषण एवं वितरण अवसंरचना के बीच व्यापक असंतुलन है। 
  • एक नियामक दुविधा विद्यमान है, जिसमें विभिन्न सरकारी विभागों में 2,735 अनुपालन दायित्वों की पहचान की गई है, जो नवीकरणीय क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं। 
  • अनुपालन के लिए अनेक मैनुअल प्रक्रियाओं और अनुमोदन के लिए भौतिक दौरों की आवश्यकता होती है, जिससे नवीकरणीय परियोजनाओं के लिए बाधाएं उत्पन्न होती हैं। 

नियामक और बुनियादी ढांचे से संबंधित चिंताएँ 

  • नवीकरणीय परियोजनाओं को अनेक नियामक एजेंसियों तथा निगरानी के लिए केंद्रीकृत प्राधिकरण के अभाव के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।  
  • इन बाधाओं के कारण 2035 तक 500 गीगावाट "उपयोग योग्य" नवीकरणीय बिजली बनाने का भारत का लक्ष्य खतरे में है। 
  • इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निर्बाध अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन नेटवर्क और बैकअप भंडारण प्रणाली विकसित करना महत्वपूर्ण है। 

संभावित समाधान और सरकार की भूमिका 

  • सरकार नवीकरणीय ऊर्जा के विकास को सुगम बनाने के लिए विनियामक प्रक्रिया को सरल बना सकती है, परिचालन नियमों को मानकीकृत कर सकती है तथा अनुमोदनों को डिजिटल बना सकती है।
  • विरासत में मिले निहित स्वार्थों पर काबू पाने के लिए "ऊर्जा आत्मनिर्भरता" हासिल करने और आर्थिक विकास को जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से अलग करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। 
  • Tags :
  • Energy Security
  • Renewable Energy in India
Subscribe for Premium Features