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राज्यों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को दुरुस्त करना होगा, गहरी संरचनात्मक कमियों को दूर करना होगा | Current Affairs | Vision IAS

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राज्यों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को दुरुस्त करना होगा, गहरी संरचनात्मक कमियों को दूर करना होगा

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भारतीय राज्यों में राजस्व वृद्धि पर एक नजर 

  • क्रिसिल (Crisil) की एक हालिया रिपोर्ट में 2025-26 के दौरान भारत के 18 सबसे बड़े राज्यों के लिए 7-9% की राजस्व वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है, जो 2024-25 के 6.6% से अधिक है।  
  • इन राज्यों का देश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में 90% से अधिक का योगदान है। 
  • यह स्थिर GST संग्रह, शराब उत्पाद शुल्क में मजबूत वृद्धि और बेहतर केंद्रीय हस्तांतरण से प्रेरित है।  
  • पेट्रोलियम कर संग्रह केवल 2% की वृद्धि के साथ कमजोर बना हुआ है। 

राज्य वित्त में संरचनात्मक कमियाँ  

  • सकारात्मक दृष्टिकोण के बावजूद, राजस्व वृद्धि दर दशकीय औसत 10% से कम है। 
  • राज्य केन्द्रीय अंतरण पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जो 2015-16 से 2024-25 तक राज्य के राजस्व का 23-30% था।
  • पिछले दशक में केन्द्रीय अनुदानों से गैर-कर राजस्व का 65-70% प्राप्त हुआ। 

ऋण-GDP अनुपात और राजकोषीय अनुशासन  

  • राज्यों का कुल ऋण-GDP अनुपात 28.5% है, जो राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन समीक्षा समिति द्वारा निर्धारित 20% की सीमा से अधिक है। 
  • राज्यों ने सामान्यतः केन्द्र की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया तथा राजकोषीय विवेकशीलता दिखाते हुए राजकोषीय घाटा GSDP के लगभग 3% के आसपास रहा। 
  • राज्यों का समेकित सकल राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 4.3% (1998-99 से 2003-04) से घटकर सकल घरेलू उत्पाद का 2.7% (2004-05 से 2023-24) हो गया। 

वित्तीय सुदृढ़ीकरण के लिए सिफारिशें 

  • विशेषकर GST अनुपालन और डिजिटल राजस्व ट्रैकिंग के विस्तार में सुधारों की अत्यंत आवश्यकता है।
  • राज्यों को संपत्ति कर और उपयोगकर्ता शुल्क में अनियमितता को दूर करने की आवश्यकता है।
  • केंद्र को समय पर, पूर्वानुमानित हस्तांतरण सुनिश्चित करना चाहिए। विशेष रूप से वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदान समय पर दिया जाना चाहिए। 
  • केंद्र द्वारा उपकरों और अधिभारों के उपयोग को लेकर मतभेद है, जिन्हें राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है और इससे राजकोषीय संतुलन बिगड़ सकता है। 
  • Tags :
  • Revenue Growth in Indian States
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