RBI की मौद्रिक नीति और टैरिफ अनिश्चितताएं
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने 6 अगस्त, 2025 को घोषित अपनी ब्याज दरों में कटौती को रोकने का निर्णय लिया है। वर्तमान आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए यह निर्णय समझदारी भरा था।
टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताएं
- फरवरी 2025 से 100 आधार अंक (bps) की दर कटौती अभी भी वित्तीय प्रणाली में छाई हुई है।
- अमेरिका द्वारा भारतीय आयातों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने की आशंका है, साथ ही रूस से भारत की तेल खरीद पर भी जुर्माना लगाया जा सकता है।
- भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहा है तथा अंतिम टैरिफ पर निर्णय लंबित है।
मौद्रिक उपाय और आर्थिक विकास
- RBI के इस विराम से मौद्रिक उपायों की प्रभावशीलता का आकलन करने का अवसर मिलता है।
- बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता मौजूद है, लेकिन विकास से संबंधित उधारी चिंता का विषय है।
- प्रमुख डेटा हाइलाइट्स:
- पिछले वर्ष की तुलना में जून के अंत तक उपभोक्ता टिकाऊ ऋण में 3% की कमी आई है।
- आवास ऋण वृद्धि दर घटकर 9.6% रह गई, जो पिछले वर्ष 36% थी।
- वाहन ऋण की वृद्धि दर में भी गिरावट देखी गई है।
- जून 2025 में उद्योग ऋण में 5.5% की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के 8.1% से कम है।
मजबूत नीतिगत ढाँचे की आवश्यकता
- RBI गवर्नर ने मौद्रिक नीति से परे मजबूत नीतिगत ढांचे के महत्व पर जोर दिया।
- सरकारी हस्तक्षेप केवल पूंजीगत व्यय बढ़ाने से अधिक केंद्रित होना चाहिए।
- अनुशंसित कार्यों में शामिल हैं:
- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर का युक्तिकरण।
- उपभोक्ता भावना को बढ़ावा देने के लिए तेल की कम कीमतों के जवाब में ईंधन की कीमतों में कमी करना।
हालांकि RBI वेट एंड वॉच का दृष्टिकोण अपना सकता है, लेकिन सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।