बिहार की मतदाता सूची में प्रवासी मतदान की चुनौतियाँ
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा बिहार मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ने प्रवासी मज़दूरों के लिए गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं। उनकी इस दुर्दशा की तुलना ग्रीक मिथक से की जा रही है जिसमें राजा ओडीसियस स्काइला और चारिबदिस के बीच यात्रा कर रहे थे, क्योंकि उनके नाम मसौदा मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
कानूनी ढांचा
- मतदाता सूचियाँ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के तहत तैयार की जाती हैं।
- धारा 19 के अनुसार किसी व्यक्ति को निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल करने के लिए 'सामान्य निवासी' होना आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्र के साथ वास्तविक संबंध बनाए रखें, ताकि जवाबदेही बनी रहे और धोखाधड़ी को रोका जा सके।
- धारा 20 में 'सामान्यतः निवासी' की परिभाषा दी गई है, जिसमें इस बात पर बल दिया गया है कि अस्थायी अनुपस्थिति से निवास की स्थिति प्रभावित नहीं होती है।
- 2010 में जोड़ी गई धारा 20ए , अनिवासी भारतीयों को उनके पासपोर्ट पते के आधार पर पंजीकरण और मतदान करने की अनुमति देती है।
प्रवासी श्रमिक चुनौतियाँ
- बिहार एसआईआर मतदाता सूची के विश्लेषण से पता चलता है कि मतदाताओं के नाम बड़ी संख्या में हटाए गए हैं, जिससे उनके मतदान के अधिकार पर असर पड़ता है, जिसकी गारंटी संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ई) के तहत दी गई है, जो नागरिकों को भारत में कहीं भी निवास करने और बसने की अनुमति देता है।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (2020-21) अनुमान है कि भारत की लगभग 11% आबादी या लगभग 15 करोड़ मतदाता रोजगार संबंधी कारणों से पलायन करते हैं।
- प्रवासी श्रमिक प्रायः अपने परिवारों के बिना ही चले जाते हैं, अस्थायी आवासों में रहते हैं और मतदान के लिए वहीं लौटते हैं जहां उनके परिवार रहते हैं।
न्यायपालिका की व्याख्या और राजनीतिक चिंताएँ
- भारत निर्वाचन आयोग एवं अन्य बनाम डॉ. मनमोहन सिंह एवं अन्य (1999) मामले में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि 'सामान्य निवासी' का तात्पर्य आदतन, स्थायी निवास से है।
- कानूनी छूट के बावजूद, प्रवासी दस्तावेज की कमी या अनिच्छा के कारण शायद ही कभी अपना वोट बदलते हैं, तथा आप्रवासी राज्यों में क्षेत्रीय दलों के राजनीतिक मुद्दों के कारण यह समस्या और भी बढ़ जाती है।
समाधान और तकनीकी नवाचार
- वैधानिक अवकाश लागू करने और मतदान के दिनों में परिवहन को बढ़ाने जैसे उपाय चुनावों में प्रवासी भागीदारी को बढ़ावा दे सकते हैं।
- भारत निर्वाचन आयोग ने बहु-निर्वाचन क्षेत्र रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) के लिए एक पायलट परियोजना विकसित की, लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक चिंताओं के कारण उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- संसद को प्रवासी मजदूरों के मताधिकार को बेहतर ढंग से सुनिश्चित करने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन पर विचार करना चाहिए।