अंग प्रत्यारोपण में लैंगिक असंतुलन
अंग प्रत्यारोपण के फैसलों में लिंग-आधारित असमानताओं की जाँच की जा रही है। राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) ने इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए एक परामर्श जारी किया है।
प्रमुख आँकड़े
- 2023 में जीवित दाता प्रत्यारोपण में महिलाओं की हिस्सेदारी 63% होगी।
- हालांकि, महिलाओं में शामिल हैं:
- हृदय प्रत्यारोपण के 24% लाभार्थी
- फेफड़े के प्रत्यारोपण 47% लाभार्थी
- किडनी प्रत्यारोपण के 37% लाभार्थी
- यकृत प्रत्यारोपण के 30% लाभार्थी
- अग्न्याशय प्रत्यारोपण के 26% लाभार्थी
- पिछले पांच वर्षों में, महिलाओं ने 56,509 जीवित अंगदानों में से 36,038 अंगदान किये, जिनमें से केवल 17,041 मामलों में ही लाभ हुआ।
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) की सलाह
- NOTTO की सिफारिश का उद्देश्य प्रतीक्षा सूची में शामिल महिला मरीजों को आवंटन मानदंड में अतिरिक्त अंक देकर लैंगिक असंतुलन को ठीक करना है।
- यद्यपि यह कदम नेक इरादे से उठाया गया है, फिर भी इसमें प्रक्रियागत चुनौतियां भी शामिल हैं।
कार्यान्वयन चुनौतियाँ
- वर्तमान प्रोटोकॉल में प्राप्तकर्ताओं को लिंग के आधार पर नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के आधार पर प्राथमिकता दी जाती है।
- महिलाओं या पूर्व दाताओं के रिश्तेदारों को प्राथमिकता देने का कोई प्रावधान मौजूद नहीं है।
- 1995 से शव अंगदान में शामिल परिवारों की पात्रता और 'निकटतम रिश्तेदारों' की परिभाषा पर प्रश्न उठते रहे हैं।
चिंताएँ और विचार
- मौजूदा अंग संग्रहण समस्याओं के बीच आउट-ऑफ-टर्न आवंटन का संभावित दुरुपयोग।
- समावेशिता का महत्व और जड़ जमाये हुए पितृसत्तात्मक मानदंडों से निपटना।
- उचित कार्यान्वयन के लिए विभिन्न एजेंसियों के साथ भागीदारी प्रक्रिया की आवश्यकता।
- स्वास्थ्य आधारित प्राथमिकता का पालन सुनिश्चित करना ताकि सबसे अधिक जरूरतमंद लोगों को वंचित न किया जाए।