भारत-नामीबिया संबंध: एक रणनीतिक साझेदारी
लेख में नामीबिया के साथ भारत के बढ़ते राजनयिक और आर्थिक संबंधों पर चर्चा की गई है, तथा साझेदारी निर्माण के लिए रणनीतिक और सांस्कृतिक रूप से सजग दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है।
नामीबिया में प्रधानमंत्री का संबोधन
- प्रधानमंत्री ने एक स्थानीय कवि को उद्धृत करते हुए और ओशिवाम्बो वाक्यांशों का उपयोग करते हुए नामीबिया की संस्कृति पर प्रकाश डाला।
- यह दृष्टिकोण पश्चिमी दृष्टिकोण से विपरीत है, जिसमें प्रायः प्रवासन नियंत्रण जैसी शर्तें शामिल होती हैं।
साझेदारी के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत की रणनीति तीन-चरणीय तर्क पर आधारित है:
1. साझा ऐतिहासिक एकजुटता:
- साझा उपनिवेशवाद विरोधी विरासत पर जोर दिया गया।
- नामीबिया के मुक्ति संग्राम के दौरान भारत के पिछले समर्थन का संदर्भ।
2. वर्तमान सहयोग:
- द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 800 मिलियन डॉलर है।
- आईटी में निवेश, जिसका उदाहरण भारत-नामीबिया उत्कृष्टता केंद्र है।
3. भविष्योन्मुखी संबंध:
- नामीबिया ने भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) को अपनाया, जो तकनीकी कूटनीति का प्रतीक है।
- नामीबिया की स्थिरता और संसाधन दीर्घकालिक सहयोग के लिए आधार प्रदान करते हैं।
चुनौतियाँ और अवसर
- भारत की भागीदारी छिटपुट रही है, हाल ही में उच्च स्तरीय यात्राएं भी अनियमित रही हैं।
- हाल के समझौतों में उद्यमिता और स्वास्थ्य पर ज्ञापन शामिल हैं, लेकिन खनिजों पर बड़े समझौते नहीं हुए हैं।
- नामीबिया के यूरेनियम संसाधन रणनीतिक सहयोग के लिए एक अप्रयुक्त अवसर प्रस्तुत करते हैं।
निष्कर्ष और भविष्य की संभावनाएँ
- भारत का दृष्टिकोण विश्वास, समावेशी संवाद और अफ्रीकी प्राथमिकताओं पर जोर देता है।
- आगामी भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन कूटनीतिक प्रयासों को मजबूत करने का एक मंच है।
- दीर्घकालिक साझेदारी की विश्वसनीयता के लिए सतत निवेश और रणनीतिक सुसंगतता आवश्यक है।