भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) बनाम व्हाट्सएप और मेटा
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने व्हाट्सएप जैसे इंटरनेट मध्यस्थों के साथ डेटा साझा करने के संबंध में उपभोक्ता की पसंद के महत्व पर ज़ोर दिया। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के समक्ष प्रस्तुतीकरण के दौरान CCI का रुख स्पष्ट किया गया।
CCI के प्रमुख तर्क
- CCI ने तर्क दिया कि डेटा साझा करने या न करने का विकल्प पूरी तरह से उपभोक्ता के पास होना चाहिए।
- व्हाट्सएप को डेटा संग्रहण को केवल अपनी सेवा प्रावधान के लिए आवश्यक डेटा तक ही सीमित रखना चाहिए तथा मेडिकल इतिहास जैसे गैर-आवश्यक डेटा से बचना चाहिए।
- उपयोगकर्ताओं को आरंभ में सहमति देने के बाद भी डेटा साझा करने से बाहर निकलने का विकल्प अवश्य मिलना चाहिए।
दंड और अधिकार क्षेत्र
- CCI ने 2021 की गोपनीयता नीति से जुड़े प्रमुख पद के कथित दुरुपयोग के लिए व्हाट्सएप पर 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
- मूल कंपनी मेटा को दंडित किया गया क्योंकि व्हाट्सएप का राजस्व मेटा के खातों में एकीकृत है।
कानूनी कार्यवाही और तर्क
- व्हाट्सएप और मेटा ने CCI के निर्णय का विरोध किया और तर्क दिया कि CCI ने प्रतिस्पर्धा के मुद्दों पर पूरी तरह ध्यान देने के बजाय डेटा गोपनीयता पर ध्यान देकर अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है।
- अपीलीय न्यायाधिकरण ने पहले चेतावनी दी थी कि व्हाट्सएप पर पांच साल का प्रतिबंध संभावित रूप से उसके व्यापार मॉडल को ध्वस्त कर सकता है, क्योंकि यह मुफ्त में सेवाएं प्रदान करता है।
- एनसीएलएटी ने जुर्माने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन किसी भी रोक को प्रभावी बनाने के लिए मेटा को जुर्माने की 50% राशि जमा करने को कहा।
अतिरिक्त जानकारी
- मेटा द्वारा व्हाट्सएप का अधिग्रहण व्हाट्सएप के विशाल उपयोगकर्ता आधार के कारण किया गया था।
- CCI की दलीलों पर व्हाट्सएप की प्रतिक्रिया जल्द ही आने की उम्मीद है तथा सभी दलीलें पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित रखे जाने की संभावना है।