इक्वलाइज़ेशन लेवी वापसी पर पुनर्विचार
भारतीय डिजिटल समाचार प्रकाशकों ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से औपचारिक अनुरोध किया है कि वे भारत से महत्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न करने वाली विदेशी डिजिटल कंपनियों पर 6% इक्वलाइज़ेशन लेवी वापस लेने पर पुनर्विचार करें।
चिंताएँ
- शुल्क हटाने से असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा हो गया है, जिससे समाचार वितरित करने वाले विदेशी प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों को लाभ मिल रहा है।
- फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और स्पेन जैसे कई देश तब तक डिजिटल सेवा कर लागू करना जारी रखेंगे, जब तक कि OECD और G20 द्वारा वैश्विक 'पिलर वन' ढांचा प्रभावी नहीं हो जाता।
- भारत में ऐसी व्यवस्था का अभाव घरेलू प्रकाशकों के लिए नुकसानदेह है, जबकि भारत एक महत्वपूर्ण डिजिटल बाजार है।
भारतीय डिजिटल प्रकाशकों की भूमिका
- भारतीय प्रकाशक सरकार के डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
- वे दीर्घकालिक स्थिरता के लिए एक न्यायसंगत विनियामक और राजकोषीय वातावरण की आवश्यकता पर बल देते हैं।
- शुल्क न लगने से विदेशी प्लेटफॉर्मों को आनुपातिक योगदान के बिना भारतीय बाजार से लाभ प्राप्त करने की अनुमति मिल जाती है, जबकि घरेलू प्रकाशकों को गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता और सामग्री निर्माण के लिए लागत उठानी पड़ती है।
अतिरिक्त चिंताएँ
- बड़े प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों द्वारा प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को लेकर चिंता बढ़ रही है।
- प्रकाशकों द्वारा उठाया गया एक अन्य मुद्दा प्रमुख AI निगमों द्वारा कंटेंट की अनधिकृत डेटा स्क्रैपिंग है।