नेशनल कैमल सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव (NCSI)
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय नेशनल कैमल सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव (NCSI) शुरू कर रहा है, जिसका उद्देश्य भारत में ऊँटों की संख्या में गिरावट को रोकना है।
उद्देश्य और सहयोग
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के परामर्श से विकसित।
- यह एक बहुआयामी रणनीति पर केंद्रित है जिसमें पशुपालन एवं डेयरी विभाग, पर्यावरण, ग्रामीण विकास और पर्यटन मंत्रालय तथा राज्य सरकारें शामिल हैं।
वर्तमान स्थिति
- 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, भारत की ऊंट आबादी 1977 के लगभग 11 लाख से घटकर 2019 में 2.52 लाख हो गई है।
- लगभग 90% ऊँट राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं।
चुनौतियां
- ऊंटों को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिससे शुष्क क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक स्थिरता और पारिस्थितिक स्थिरता प्रभावित हो रही है।
- मौजूदा नीतियां खंडित, प्रतिक्रियात्मक और अल्प वित्तपोषित हैं तथा मुख्यधारा के पशुधन विकास कार्यक्रमों पर उनका ध्यान सीमित है।
नीतिगत सिफारिशें
- कानूनी बाधाओं में सुधार करना और विनियमित व्यापार को सक्षम बनाना, साथ ही आजीविका अधिकारों के साथ संरक्षण को संतुलित करने के लिए राजस्थान ऊंट अधिनियम की समीक्षा करना।
- बेहतर परिवहन अवसंरचना और ई-मार्केट प्लेटफॉर्म द्वारा समर्थित सुरक्षित, पता लगाने योग्य अंतर-राज्य व्यापार तंत्र विकसित करना।
जागरूकता और शिक्षा
- राष्ट्रीय ऊँट जागरूकता अभियान शुरू करना, जिसमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों, सार्वजनिक अभियानों और ग्रामीण मेलों में विषयों को शामिल किया जाए।
- ऊँट संस्कृति, संरक्षण और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में विश्व ऊँट दिवस (22 जून) मनाया जाएगा।