भौतिकी का नोबेल पुरस्कार, 2025
वर्ष 2025 के लिए भौतिकी के नोबेल पुरस्कार ने क्वांटम यांत्रिकी में अभूतपूर्व शोध को मान्यता दी है, जो छोटे कणों के व्यवहार और उनके स्थूल अनुप्रयोगों पर केंद्रित है।
क्वांटम यांत्रिकी और सुपरपोजिशन
- परमाणु जैसे छोटे कण असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करते हैं जैसे- सुपरपोजिशन (एक साथ कई स्थानों पर विद्यमान होना) और टनलिंग (अवरोधों से होकर गुजरना)।
- इन घटनाओं का वर्णन क्वांटम यांत्रिकी के नियमों द्वारा किया जा सकता है और आमतौर पर बड़ी वस्तुओं में इनका अवलोकन नहीं किया जा सकता।
2025 के नोबेल पुरस्कार विजेता: जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस
- उन्हें विद्युत परिपथों में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण की खोज के लिए सम्मानित किया गया।
- 1980 के दशक के मध्य में उनके शोध ने क्वांटम कंप्यूटर के विकास की नींव रखी।
अनुसंधान की पृष्ठभूमि और अनुप्रयोग
- यह अध्ययन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में पूर्व नोबेल पुरस्कार विजेता ब्रायन जोसेफसन के अध्ययन के समान सेट-अप का उपयोग करके किया गया।
- इसमें सुपरकंडक्टर और इंसुलेटर वाले विद्युत सर्किट शामिल थे, जिन्हें जोसेफसन जंक्शन के रूप में जाना जाता है, जो क्वांटम टनलिंग को प्रदर्शित करते हैं।
- सुपरकंडक्टर विद्युत को बिना किसी प्रतिरोध के प्रवाहित होने देते हैं, यह व्यवहार क्वांटम यांत्रिकी के अनुरूप हुआ है।
अनुसंधान का महत्व
- उनके अनुप्रयोगों में मैक्रोस्कोपिक पैमाने पर क्वांटम व्यवहार को प्रदर्शित किया गया, जो उस समय पहली बार हुआ था।
- नियंत्रित परिस्थितियों में क्वांटम गुण प्रदर्शित करने वाली बड़ी प्रणालियों की संभावना को प्रमाणित किया गया।
- इस कार्य ने क्वांटम बिट्स या क्यूबिट्स के विकास को प्रभावित किया, जो क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए महत्वपूर्ण है।
- आज, सुपरकंडक्टिंग सर्किट, क्यूबिट बनाने के लिए एक लोकप्रिय मंच है।