कार्यबल में सुधार
यह नीति एक ऐसे श्रम पारिस्थितिकी तंत्र की परिकल्पना करती है जो प्रत्येक श्रमिक के लिए सुरक्षा और उत्पादकता सुनिश्चित करे। इस पहल का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय श्रम एवं रोजगार नीति के मसौदे में किया गया है, जिसे श्रम शक्ति नीति 2025 के नाम से भी जाना जाता है, और जिसे सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया है।
मसौदा नीति के प्रमुख घटक
- सार्वभौमिक और पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा:
- नीति में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, ई-श्रम और राज्य कल्याण बोर्ड जैसी विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को एकीकृत करके एक सार्वभौमिक खाता बनाने का प्रस्ताव है।
- व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य संहिता:
- जोखिम-आधारित निरीक्षण और लिंग-संवेदनशील मानकों के साथ कार्यान्वयन।
- कौशल और रोजगार:
- 2030 तक महिला कार्यबल भागीदारी को 35% तक बढ़ाने के लिए विभिन्न कौशल योजनाओं और पहलों का अभिसरण।
- युवाओं के लिए उद्यमिता को बढ़ावा देना और कैरियर मार्गदर्शन।
नीतिगत दृष्टिकोण और उद्देश्य
नीति का उद्देश्य एक संतुलित ढांचा तैयार करना है जो श्रमिकों के कल्याण को बनाए रखते हुए उद्यमों को विकसित होने में सक्षम बनाए, जो 2047 तक विकसित भारत की राष्ट्रीय आकांक्षा के अनुरूप हो। यह भारत के सभ्यतागत लोकाचार श्रम धर्म - काम की गरिमा और नैतिक मूल्य - में निहित है।
अपेक्षित परिणाम
- सार्वभौमिक श्रमिक पंजीकरण और सामाजिक सुरक्षा पोर्टेबिलिटी।
- कार्यस्थल पर मृत्यु दर लगभग शून्य तथा महिला श्रम-बल में भागीदारी में वृद्धि।
- डिजिटल अनुपालन और एआई-संचालित श्रम शासन के माध्यम से अनौपचारिक नौकरियों में कमी।
- लाखों हरित एवं सभ्य नौकरियों का सृजन।
नीति कार्यान्वयन चरण
- चरण I (2025-27): संस्थागत व्यवस्था और सामाजिक-सुरक्षा एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- चरण II (2027-30): सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा खातों, कौशल-ऋण प्रणालियों और जिला-स्तरीय रोजगार सुविधा प्रकोष्ठों का राष्ट्रव्यापी रोलआउट।
- चरण III (2030 से आगे): कागज रहित शासन, पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण और निरंतर नीति नवीनीकरण की शुरूआत।
निगरानी और मूल्यांकन
- प्रगति को वास्तविक समय डैशबोर्ड और श्रम एवं रोजगार नीति मूल्यांकन सूचकांक (एलपीईआई) बेंचमार्किंग राज्यों के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा।
- संसद को वार्षिक राष्ट्रीय श्रम रिपोर्ट तथा स्वतंत्र तृतीय पक्ष समीक्षा से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
मसौदे पर सुझाव प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 27 अक्टूबर है।