सेना द्वारा स्वदेशी काउंटर-ड्रोन ग्रिड की तैनाती
भारतीय सेना ने पाकिस्तानी ड्रोन घुसपैठ की घटनाओं, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, के बाद स्थानीय रूप से विकसित ड्रोन रोधी प्रणाली की खरीद में तेजी ला दी है, जिसमें सॉफ्ट और हार्ड दोनों तरह की मारक क्षमताएं शामिल हैं।
सक्षम प्रणाली विकास
- काइनेटिक सॉफ्ट और हार्ड किल एसेट्स मैनेजमेंट (सक्षम) प्रणाली के लिए स्थितिजन्य जागरूकता भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के सहयोग से विकसित की गई थी।
- यह सुरक्षित आर्मी डेटा नेटवर्क (ADN) पर काम करता है, तथा सैन्य संरचनाओं को वास्तविक समय में एकीकृत ड्रोन जागरूकता प्रदान करता है।
सामरिक युद्धक्षेत्र अंतरिक्ष विस्तार
ऑपरेशन सिंदूर से सीख लेकर हवाई क्षेत्र नियंत्रण को बढ़ाने के लिए इस प्रणाली का विकास किया गया है:
- जमीन से 3,000 मीटर ऊपर तक की दूरी को कवर करता है, जिसे नया सामरिक युद्धक्षेत्र स्थान कहा जाता है।
- पारंपरिक जमीनी भूमिकाओं से आगे बढ़कर हवाई तटीय क्षेत्र में विस्तार होता है।
सिस्टम क्षमताएं
- शत्रु ड्रोन और मानव रहित हवाई प्रणालियों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने, पहचानने और निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- सामरिक युद्धक्षेत्र अंतरिक्ष के लिए पूर्ण हवाई क्षेत्र सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- शत्रुतापूर्ण खतरों को निष्क्रिय करते हुए मित्रवत हवाई संपत्तियों के लिए अप्रतिबंधित आवाजाही की अनुमति देता है।
तकनीकी एकीकरण
- ड्रोन-विरोधी अभियानों के लिए वास्तविक समय पर स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करता है।
- डेटा एकीकरण के लिए एआई उपकरणों का उपयोग करते हुए एक स्वचालित निर्णय समर्थन प्रणाली की सुविधा।
- वर्तमान और भविष्य के ड्रोन-रोधी हथियारों और सेंसरों को सिंक्रनाइज़ करता है।
- बड़े सुदर्शन चक्र प्रणाली में फ़ीड करता है।
खरीद और तैनाती
- फास्ट ट्रैक खरीद मार्ग के तहत अनुमोदित।
- अगले वर्ष के भीतर सभी क्षेत्रीय संरचनाओं में इसे लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।