सुर्ख़ियों में क्यों?
भारत के प्रधान मंत्री ने दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण में सिंगापुर का दौरा किया। इससे पूर्व उन्होंने पहले चरण में ब्रुनेई दारुस्सलाम की यात्रा की थी।
सिंगापुर यात्रा के मुख्य आउटकम्स

- व्यापक रणनीतिक साझेदारी: 2015 में स्थापित रणनीतिक साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया है।
- भारत और सिंगापुर ने डिजिटल प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर, स्वास्थ्य और कौशल विकास के क्षेत्रकों में 4 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
- भारत-सिंगापुर सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम साझेदारी पर समझौता ज्ञापन (MoU): इसके तहत निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
- सेमीकंडक्टर क्लस्टर का विकास करना;
- प्रतिभा को प्रोत्साहित करना; और
- एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग सहित विशेष रूप से लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास में सहयोग करना।
भारत-सिंगापुर संबंधों के बारे में

- ऐतिहासिक संबंध: वर्ष 1819 में सर स्टैमफोर्ड रैफल्स ने सिंगापुर को एक व्यापार केंद्र के रूप में स्थापित किया था। उस समय इसे कोलकाता से संचालित किया जाता था। भारत 1965 में सिंगापुर को मान्यता देने वाले विश्व के कुछ शुरूआती देशों में से एक था।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: सिंगापुर आसियान समूह में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023-24 तक के आंकड़ों के अनुसार, यह भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है।
- व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर हस्ताक्षर के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 35.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2023-24) हो गया है।
- हालांकि, द्विपक्षीय व्यापार में भारत निर्यात से अधिक आयात करता है।
- भारत ने कर चोरी (Tax evasion) को रोकने के लिए 2016 में सिंगापुर के साथ दोहरे कराधान से बचाव समझौते (DTAA) पर हस्ताक्षर किए थे।
- व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर हस्ताक्षर के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 35.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2023-24) हो गया है।
- रक्षा संबंध: सिंगापुर के साथ रक्षा सहयोग भारत को दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में सक्षम बनाता है। साथ ही, यह हिंद महासागर में एक सुरक्षा भागीदार के रूप में सिंगापुर की भूमिका को मजबूत भी करता है।
- दोनों देशों की तीनों सेनाओं के द्विपक्षीय अभ्यास:
- अभ्यास अग्नि वारियर (थल सेना);
- अभ्यास सिम्बेक्स (नौसेना);
- भारतीय वायु सेना और रॉयल सिंगापुर वायु सेना के बीच संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण (Joint Military Training: JMT)।
- दोनों देशों की तीनों सेनाओं के द्विपक्षीय अभ्यास:
- फिनटेक: RuPay कार्ड और UPI-Paynow लिंकेज सीमा-पार फिनटेक के क्षेत्र में ऐतिहासिक विकास के प्रतीक हैं।
- बहुपक्षीय सहयोग: भारत और सिंगापुर पूर्वी-एशिया शिखर सम्मेलन, G20, राष्ट्रमंडल, IORA (इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन) और IONS (हिंद महासागर नौसेना संगोष्टी) जैसे बहुपक्षीय समूहों का हिस्सा हैं।
- सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन में शामिल हो गया है।
- दोनों देश इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) पर निकटता से सहयोग करते हैं और इसका समर्थन करते हैं।
- भारतीय समुदाय: सिंगापुर की आबादी में लगभग 9.1% भारतीय मूल के लोग हैं।
- इसके अलावा, सिंगापुर में अस्थायी तौर पर रहने वाले 1.6 मिलियन विदेशियों में से लगभग 20% भारतीय नागरिक हैं।
- तमिल सिंगापुर की चार आधिकारिक भाषाओं में से एक है।

भारत-सिंगापुर संबंधों के समक्ष चुनौतियां
- चीन की मजबूत उपस्थिति: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन में होने वाले निवेश में सिंगापुर की महत्वपूर्ण भूमिका है और कुल निवेश का लगभग 85% हिस्सा सिंगापुर के जरिए चीन को प्राप्त होता है।
- चीन सिंगापुर का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- टैक्स हेवन देश के रूप में सिंगापुर की पहचान: हालांकि, वित्त वर्ष 2023-24 में 11.7 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया था, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा राउंड ट्रिपिंग के कारण हो सकता है।
- व्यापार से जुड़ी भारत की चिंताएं: सेवाओं के निर्यात के लिए अपर्याप्त बाजार पहुंच और पेशेवर प्रतिभाओं का पलायन।
- सोने की तस्करी: सिंगापुर में मौजूद तस्कर, घर वापस आने वाले भारतीय प्रवासी कामगारों से संपर्क में रहते हैं और उनसे देश में सोने की तस्करी करवाते हैं। ये तस्कर भारतीय प्रवासी श्रमिकों को 'गोल्ड म्यूल्स' के रूप में भर्ती कर रहे हैं।
- भारत विरोधी भावनाएं: ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जहां सिंगापुर में काम करने वाले भारतीय कामगारों को सोशल मीडिया और कार्यस्थल पर प्रताड़ित किया गया है।
भारत-सिंगापुर संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में आगे की राह
- व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) की तीसरी बार समीक्षा: दोनों देश मिलकर तीसरी CECA समीक्षा को पूरा कर सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि यह समझौता दोनों देशों के लिए भविष्य में प्रासंगिक बना रहेगा।
- इसका उद्देश्य बदलते आर्थिक परिदृश्य के अनुकूल ढलना और लाभकारी व्यापार संबंध बनाए रखना है।
- आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की समीक्षा: इसे और अधिक व्यापार-अनुकूल, सरल व व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाले के रूप में तैयार करना चाहिए। इस समीक्षा को 2025 तक महत्वपूर्ण रूप से समाप्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
- शहरी नियोजन और विकास: स्मार्ट शहर एवं आवास सहित शहरी अवसंरचना पर सिंगापुर कोऑपरेशन एंटरप्राइज (SCE) तथा भारत के विविध राज्यों के बीच आपस में सहयोग किया जा सकता है।
- भारत विरोधी भावनाओं को खत्म करना: सिंगापुर में मौजूद भारतीय दूतावास भारत विरोधी भावनाओं से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे भारतीय कामगारों के लिए एक हेल्पलाइन या सहायता प्रणाली स्थापित कर सकता है।
- सेवा व्यापार का लाभ उठाना: भारत को सिंगापुर के साथ व्यापार घाटे को कम करना चाहिए। इसके अलावा, सेवा क्षेत्रक को उदार बनाने तथा अपने तुलनात्मक लाभ को अधिकतम करने के लिए सिंगापुर के साथ साझेदारी को मजबूत करना चाहिए।
निष्कर्ष
सिंगापुर भारत का एक रणनीतिक साझेदार है और पूर्वी एशिया में भारत के लिए आर्थिक सेतु के रूप में कार्य करता है। इसके अलावा सिंगापुर भारत के क्षेत्रीय प्रभाव और कनेक्टिविटी को बढ़ाते हुए व्यापार, निवेश एवं सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देता है।