इस संहिता के तहत विवाद समाधान, औद्योगिक संबंधों आदि से संबंधित तीन कानूनों को शामिल किया गया है।
- उद्देश्य: ट्रेड यूनियनों (श्रमिक संघों), औद्योगिक प्रतिष्ठानों या उपक्रमों में रोजगार की शर्तों, औद्योगिक विवादों की जांच और निपटान से संबंधित कानूनों को सरल बनाना।
प्रमुख प्रावधान:
- श्रमिक संघ (ट्रेड यूनियन): अब एकमात्र वार्ताकार संघ (Sole Negotiating Union) के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए 51% सदस्यता आवश्यक है। इससे वार्ता प्रक्रिया सुव्यवस्थित होती है।
- एक से अधिक ट्रेड यूनियन होने की स्थिति में, 20% श्रमिकों की सदस्यता वाली यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ एक वार्ता परिषद गठित की जाएगी।
- निश्चित अवधि का रोजगार (FTE): इसके तहत स्पष्ट रूप से FTE को संस्थागत बनाया गया है। इसका उद्देश्य अत्यधिक संविदाकरण को कम करना और नियोक्ताओं को लागत दक्षता प्रदान करना है।
- श्रमिक की विस्तृत परिभाषा: इसमें बिक्री संवर्धन कर्मी (Sales promotion staff), पत्रकार और ₹18,000/माह तक वेतन प्राप्त करने वाले पर्यवेक्षी कर्मचारी शामिल हैं।
- ले-ऑफ/छंटनी/बंद करने के लिए उच्च सीमा: सरकारी अनुमति की सीमा 100 से बढ़ाकर 300 श्रमिक कर दी गई है; राज्य इस सीमा को और बढ़ा सकते हैं।
- उद्योग की व्यापक परिभाषा: इसमें लाभ या पूंजी की परवाह किए बिना, नियोक्ता–कर्मचारी के बीच सभी व्यवस्थित गतिविधियां शामिल हैं।
गुण (Merits) | दोष (Demerits) |
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