सुर्ख़ियों में क्यों?
लखनऊ को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा "क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी" (खान-पान के लिए रचनात्मक शहर) घोषित किया गया है। हैदराबाद के बाद यह सम्मान पाने वाला लखनऊ भारत का दूसरा शहर है।
अन्य संबंधित तथ्य

- ऐतिहासिक संदर्भ: 1775 में नवाब आसफ-उद-दौला द्वारा अवध की राजधानी को लखनऊ स्थानांतरित करने के निर्णय ने इस शहर को एक प्रतिष्ठित दर्जा दिलाया।
- कविता, संगीत और ललित कलाओं का केंद्र होने के कारण इसे "शीराज-ए-हिंद" और "पूरब का कॉन्स्टेंटिनोपल" भी कहा जाता है।
- अपनी शालीनता और बेहतरीन खान-पान की उत्कृष्टता के कारण इसे "द गोल्डन सिटी ऑफ़ इंडिया" भी कहा जाता है।
- पाक कला: शाही संरक्षण के अंतर्गत, नवाबों की रसोई में बावर्चियों और रकाबदारों ने दम पुख़्त जैसी धीमी आँच पर पकाने की तकनीक में महारत हासिल की। इसके अंतर्गत कबाब, कोरमा, बिरयानी, शीरमाल और शाही टुकड़ा जैसे व्यंजनों की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई।
- लखनऊ की अन्य मुख्य विशेषताएं:
- वास्तुकला का समन्वय: शहर की पहचान मुगल और अवधी स्थापत्य परंपराओं के अनूठे मेल में निहित है।
- मूर्त संपत्तियां: बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, भूलभुलैया आदि।
- नवाबी विशेषताएं: दरवाजों पर मछली के चिन्ह (मछली मोटिफ) का उपयोग, छतर, बारादरी (बारह दरवाजों वाला मंडप), और लखौरी ईंटें।
- अमूर्त संपत्तियां: लखनवी व्यंजन (मुगलई और अवधी परंपराओं का मिश्रण), उर्दू शायरी और गजलें, कथक जैसा पारंपरिक नृत्य और चिकनकारी कढ़ाई का पारंपरिक शिल्प।
यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (UCCN) के बारे में
UCCN आठ रचनात्मक क्षेत्रों को कवर करता है:
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निष्कर्ष
यूनेस्को (UNESCO) द्वारा दी गई यह मान्यता पाक विरासत (खान-पान की विरासत) को बढ़ावा देने, प्रशिक्षण में वृद्धि करने, स्थानीय विक्रेताओं और लघु खाद्य उद्यमियों के लिए बाजार तक पहुंच आसान बनाने और भोजन-आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने का एक बेहतरीन अवसर है।