सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इंडिया AI गवर्नेंस हेतु दिशा-निर्देश जारी किए। इन दिशा-निर्देशों को इंडिया AI मिशन के तहत जारी किया गया है।
इंडिया AI गवर्नेंस संबंधित दिशा-निर्देश के बारे में
- इन दिशा-निर्देशों के तहत अत्याधुनिक नवाचार को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, इसमें व्यक्तियों और समाज के लिए AI के संभावित जोखिमों को कम करने तथा सभी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को सुरक्षित रूप से विकसित और उपयोग करने हेतु एक सुदृढ़ शासन ढांचे का प्रस्ताव किया गया है।
दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए संस्थागत ढांचा
- उच्च-स्तरीय निकाय (AI गवर्नेंस समूह): AI गवर्नेंस के लिए समग्र नीति निर्माण हेतु भारत में सभी एजेंसियों में समन्वय के लिए।
- सरकारी एजेंसियां (MeitY, केंद्रीय गृह मंत्रालय आदि) और अलग क्षेत्रकों की विनियामक संस्थाएं (RBI, SEBI, TRAI, CCI, आदि): क्षेत्रक विशेष के लिए नियम जारी करने, अपने-अपने क्षेत्रकों की शिकायतों का निवारण करने के लिए, आदि।
- सलाहकार निकाय (नीति आयोग, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय आदि): AI गवर्नेंस समूह को नियमित रूप से सूचित करने और AI गवर्नेंस पर रणनीतिक परामर्श देकर सहायता करने के लिए।
- मानक निकाय (भारतीय मानक ब्यूरो, दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र, आदि): AI से संबंधित जोखिमों के वर्गीकरण हेतु मानक, प्रमाणन मानक विकसित करने के लिए।
AI गवर्नेंस से संबद्ध चिंताएं
- डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण और कम डिजिटल-सेवा वाले क्षेत्र डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure: DPI) के मामले में पिछड़े हुए हैं। AI से संबंधित समाधानों को लागू करने की लागत भी उच्च है। साथ ही कृषि, स्वास्थ्य-देखभाल सेवा, लोक सेवाओं जैसे क्षेत्रकों में कंप्यूटिंग की उपलब्धता कम है। ये कारण AI को समान रूप से अपनाने में बाधा उत्पन्न हो रही है।
- उदाहरण के लिए: 'इंटरनेट इन इंडिया' (2024 की रिपोर्ट) के अनुसार, अभी भी 51% ग्रामीण आबादी इंटरनेट सेवाओं का उपयोग नहीं कर रही है।
- भेदभाव: पक्षपातपूर्ण डेटा से प्रशिक्षित AI, कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान और पुलिस जांच आदि में भेदभावपूर्ण परिणाम दे सकता है। समुचित सुरक्षा उपाय नहीं होने की स्थिति में ये परिणाम वर्तमान असमानताओं को और अधिक बढ़ा सकते हैं और वंचित समुदायों की समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: AI के अपारदर्शी "ब्लैक बॉक्स" निर्णय पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जवाबदेही तय करने में बाधक बनते हैं, विशेष रूप से जन कल्याण और विधि को लागू करने के मामले में। स्पष्ट जांच प्रक्रिया के बिना निर्णयों के सही-गलत का निर्धारण करना और संस्थानों को इसके लिए जवाबदेह ठहराना कठिन हो जाता है।
- साइबर सुरक्षा: डेटा के साथ छेड़छाड़ और मॉडल हाइजैकिंग जैसे साइबर हमले AI प्रणालियों को निशाना बना सकते हैं। इससे लोक सेवाओं की प्रदायगी बाधित हो सकती है और गोपनीय जानकारी सार्वजनिक हो सकती है। इससे AI-संचालित शासन प्रभावित हो सकता है।
- नीति और विनियमन: AI-संचालित निर्णय प्रक्रिया में सामने आने वाली विनियामकीय समस्याओं को पहचानने और उन्हें दूर करने के लिए विभिन्न क्षेत्रकों के वर्तमान विधियों की तत्काल समीक्षा करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से स्वास्थ्य-देखभाल सेवा और वित्तीय सेवाओं जैसे संवेदनशील क्षेत्रकों में।
- उदाहरण के लिए: गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques (Prohibition of Sex Selection) Act: PCPNDT) में एआई-संचालित रेडियोलॉजी उपकरणों के उपयोग के विनियमन से जुड़े प्रावधान होने चाहिए। इससे गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग की जांच करना जैसे गैर-कानूनी कार्य पर रोक लग सके।
- बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) से संबंधित चिंताएं: सृजनकर्ता की सहमति के बिना उसकी कॉपीराइट सामग्री पर प्रशिक्षित AI मॉडल के स्वामित्व और प्रतिपूर्ति को लेकर विवाद उत्पन्न होते हैं। इस बात पर अनिश्चितता बनी रहती है कि AI सृजित कंटेंट पर अधिकार मूल सृजनकर्ता का है या AI मॉडल्स का विकास करने वालों का।
- उदाहरण के लिए: गूगल द्वारा "एआई ओवरव्यू" प्रदान करने के लिए उसके विरुद्ध अभियोजन चलाया जा रहा है। AI ओवरव्यू, सर्च -इंजन में विद्यमान एक फीचर है। यह खोज के परिणामों का संक्षिप्त सारांश प्रदान करने के लिए जेनरेटिव AI का उपयोग करता है।
- याचिकाकर्ताओं ने चिंता जताई कि 'AI ओवरव्यू' इंटरनेट ट्रैफिक को किसी और प्लेटफार्म की ओर मोड़ कर सकता है। इससे प्रकाशकों तथा कंटेंट-प्रदाताओं के राजस्व को नुकसान पहुंचेगा।
- उदाहरण के लिए: गूगल द्वारा "एआई ओवरव्यू" प्रदान करने के लिए उसके विरुद्ध अभियोजन चलाया जा रहा है। AI ओवरव्यू, सर्च -इंजन में विद्यमान एक फीचर है। यह खोज के परिणामों का संक्षिप्त सारांश प्रदान करने के लिए जेनरेटिव AI का उपयोग करता है।
- दुरुपयोग: AI के दुर्भावनापूर्ण उपयोग (डीपफेक, डेटा पॉइजनिंग, प्रतिकूल साइबर हमले और AI-संचालित दुष्प्रचार अभियान) अति-महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं के संचालन में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं। ये लोगों की सुरक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।
AI शासन के लिए पहलें
भारत
- राष्ट्रीय AI रणनीति (NSAI): नीति आयोग की #AIforAll रणनीति स्वास्थ्य-देखभाल सेवा, कृषि और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रकों में एआई के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करती है।
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (DPDP Act): यह अधिनियम व्यक्तियों के डेटा की सुरक्षा से संबंधित ढांचे को मजबूत करता है और AI से "निजता की सुरक्षा' से संबंधी चिंताओं का समाधान करता है।
- AI पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on AI: GPAI): यह मानवाधिकारों, समावेशन, विविधता और आर्थिक समृद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हुए AI के जिम्मेदारी-पूर्ण विकास और उपयोग सुनिश्चित करती है। भारत GPAI का संस्थापक सदस्य है।
विश्व
- यूरोपीय संघ का AI अधिनियम, 2024: यह अधिनियम AI पर यूरोप का पहला प्रमुख विनियामक ढांचा है। यह ढांचा AI के उपयोग को उनके जोखिम के स्तर के आधार पर तीन श्रेणियों (अस्वीकार्य, उच्च जोखिम, आदि) ) में वर्गीकृत करता है।
- ब्लेचले घोषणा-पत्र, 2023: 28 देशों और यूरोपीय संघ द्वारा हस्ताक्षरित यह घोषणा-पत्र 'फ्रंटियर एआई' से उत्पन्न होने वाले अवसरों और जोखिमों की साझा समझ प्रदान करता है।
- G7 AI समझौता, 2023: इसका उद्देश्य AI प्रणालियों के जिम्मेदारी पूर्वक विकास और उपयोग के लिए एक वैश्विक ढांचा तैयार करना है। इसमें भागीदारी स्वैच्छिक है।
- OECD AI सिद्धांत, 2019: ये सिद्धांत AI पर पहले अंतर-सरकारी मानक हैं। ये सिद्धांत ऐसे नवाचार आधारित और विश्वसनीय AI को बढ़ावा देते हैं जो मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करते हैं।
इंडिया AI मिशन के बारे में
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निष्कर्ष
भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को अपवंचना, भेदभाव अथवा हानि के स्रोत के रूप में नहीं, बल्कि विकास के एक प्रभावी और सशक्त साधन के रूप में उपयोग कर सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि AI से जुड़े जोखिमों के आकलन पर आधारित विनियमन को नवाचार-अनुकूल मानकों के साथ संतुलित किया जाए। साथ ही, समावेशी डिजिटल अवसंरचना में पर्याप्त निवेश किया जाए और संस्थाओं की क्षमताओं को सुदृढ़ बनाया जाए, ताकि AI का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंच सके। इसके अतिरिक्त, पारदर्शिता, जवाबदेही और वैश्विक सहयोग पर आधारित एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि AI का विकास और उपयोग संवैधानिक मूल्यों, जन-विश्वास और दीर्घकालिक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होता रहे तथा भारत वैश्विक AI शासन व्यवस्था में एक जिम्मेदार एवं विश्वसनीय नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर सके।
