सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3 (भारत का सबसे भारी परिचालन प्रक्षेपण यान) के माध्यम से GSAT-7R (CMS-03) उपग्रह को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
अन्य संबंधित तथ्य
- CMS-03 का प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा किया गया है।
- GSAT-7R भारत की नौसेना द्वारा रक्षा क्षेत्रक में उन्नत उपग्रह संचार के माध्यम से देश के समुद्री हितों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
GSAT-7R (CMS-03) उपग्रह संचार के बारे में
- यह भारत की उन्नत रक्षा उपग्रह संचार श्रृंखला GSAT-7 का एक हिस्सा है।
- उपग्रह संचार का तात्पर्य किसी भी ऐसी संचार प्रणाली से है जिसमें सूचना के प्रसारण मार्ग में कृत्रिम उपग्रह का उपयोग किया जाता है।
- यह एक प्रकार का वायरलेस संचार है, जिसमें उपग्रह अंतरिक्ष में रिले स्टेशनों के रूप में कार्य करते हैं और बहुत लंबी दूरी तक डेटा के आदान-प्रदान को संभव बनाते हैं।
- वजन: लाभग 4,400 किलोग्राम
- कक्षा (Orbit): इसे 'भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा' (GTO) में प्रक्षेपित किया गया है। बाद में यह भू-स्थिर कक्षा (जियोस्टेशनरी ऑर्बिट) में पहुँचेगा, जो पृथ्वी से लगभग 35,786 किलोमीटर की ऊँचाई पर होती है।
- कवरेज क्षेत्र: यह हिंद महासागर क्षेत्र, भारतीय भू-भाग और भारतीय तटरेखा से लगभग 2,000 किमी तक मल्टी-बैंड दूरसंचार सेवाएं प्रदान करता है।
- विभिन्न संचार चैनल: यह उपग्रह UHF, S, C और Ku जैसे कई फ्रीक्वेंसी बैंड पर काम करता है। इसके माध्यम से वॉयस, वीडियो और डेटा का सुरक्षित प्रसारण संभव है।
- जीवनकाल: लाभग 15 वर्ष;
- प्रतिस्थापन: यह पुराने बहु-बैंड संचार उपग्रह GSAT-7 / INSAT-4F (रुक्मिणी) का स्थान लेगा।
- उद्देश्य: यह अंतरिक्ष-आधारित संचार क्षमताओं को सुदृढ़ करना, समुद्री डोमेन जागरूकता को बढ़ाना और नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों, विमानों और समुद्री संचालन केंद्रों के बीच सुरक्षित और विश्वसनीय संचार स्थापित करना।

GSAT-7 श्रृंखला के अन्य उपग्रह
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निष्कर्ष
उपग्रह संचार भारत की रक्षा तैयारियों का एक अनिवार्य स्तंभ बन चुका है। यह थल, जल और वायु में सुरक्षित कनेक्टिविटी, वास्तविक समय की निगरानी और निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करता है। जैसे-जैसे सुरक्षा चुनौतियाँ अधिक जटिल होती जा रही हैं और अंतरिक्ष एक महत्त्वपूर्ण युद्धक्षेत्र बनता जा रहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा और रणनीतिक श्रेष्ठता सुनिश्चित करने के लिए सैटकॉम (SATCOM) क्षमताओं को सुदृढ़ करना अत्यंत आवश्यक है।