सुर्ख़ियों में क्यों?
प्रधानमंत्री ने भूटान के महामहिम राजा के निमंत्रण पर भूटान की दो दिवसीय राजकीय यात्रा की।

अन्य संबंधित तथ्य
- यह यात्रा थिम्पू में ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल के साथ संपन्न हुई। इसमें भारत से भगवान बुद्ध के पिपरहवा अवशेषों की प्रदर्शनी प्रदर्शित की गई थी।
- यात्रा की प्रमुख विशेषताएं:
- पुनात्संगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया गया।
- भारत द्वारा भूटान के ग्यालसुंग नेशनल सर्विस प्रोग्राम (भूटान में युवाओं के लिए अनिवार्य राष्ट्रीय सेवा) को 200 करोड़ रुपये के अनुदान और 1500 करोड़ रुपये के रियायती ऋण के साथ सहायता प्रदान की जाएगी।
- रेलवे लिंक की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन (MoU), जिसमें कोकराझार-गेलेफू और बनारहाट-सामत्से रेल लिंक शामिल हैं।
- भारत एक भूटानी मंदिर/मठ के निर्माण के लिए वाराणसी में भूमि आवंटित करेगा।
संबंधों का ऐतिहासिक विकास
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भारत-भूटान द्विपक्षीय संबंधों का महत्व
भारत के लिए:
- रणनीतिक बफर एवं सुरक्षा: भूटान की भौगोलिक अवस्थिति भारत और चीन के बीच एक बफर (मध्यवर्ती क्षेत्र) के रूप में कार्य करती है। भूटान की पश्चिमी सीमा (डोकलाम) भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- ऊर्जा सुरक्षा: भूटान एक भरोसेमंद जलविद्युत भागीदार है। भारत 2986 मेगावाट की कुल क्षमता वाली पांच प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं (HEPs) में शामिल है। इसमें चुखा, कुरीछू, ताला, मांगदेछू और पुनात्संगछू-II शामिल हैं।
- आर्थिक पहुंच: भूटान भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार और एक प्रमुख निवेश गंतव्य बना हुआ है।
- BHIM UPI और RuPay कार्ड का अंतरराष्ट्रीयकरण: भूटान अपने QR परिनियोजन में UPI मानकों को अपनाने वाला पहला देश है। RuPay कार्ड वहाँ पूर्णतः अंतर-संचालनीय है।
भूटान के लिए:
- आर्थिक विकास: भारत भूटान का प्रमुख विकास भागीदार है, जो 1961 में उसकी पहली पंचवर्षीय योजना के बाद से सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायता कर रहा है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए, भूटान के कुल बाहरी अनुदान घटक में भारत का योगदान 73% था।
- राजस्व सृजन: भारत को विद्युत का निर्यात भूटान के राजस्व का लगभग 40% और उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 25% उत्पन्न करता है।
- भू-आबद्ध प्रकृति से निपटना: 2016 का व्यापार, वाणिज्य और पारगमन समझौता एक मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित करता है। साथ ही, भूटान को तीसरे देशों से/को माल के पारगमन हेतु शुल्क मुक्त सुविधा प्रदान करता है।
- वित्तीय स्थिरता: भारत RBI के माध्यम से महत्वपूर्ण वित्तपोषण सुविधाएं प्रदान करता है। इसमें 1500 करोड़ रुपये की करेंसी स्वैप सुविधा और कई स्टैंडबाय क्रेडिट सुविधाएं शामिल हैं।
- शिक्षा और क्षमता निर्माण: भारत भूटान को कई अवसर प्रदान करता है। इसमें भूटान के छात्रों के लिए 1500 से अधिक छात्रवृत्तियां (जैसे, एंबेसडर स्कॉलरशिप, नेहरू वांगचुक स्कॉलरशिप) और पेशेवरों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 325 ITEC प्रशिक्षण स्लॉट शामिल हैं।
- अंतरिक्ष सहयोग: भारत और भूटान ने संयुक्त रूप से भारत-भूटान SAT (2022) विकसित किया है।
- रक्षा सहयोग: भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम (IMTRAT) भूटानी सुरक्षा कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करती है।
भारत-भूटान संबंधों में चुनौतियां
- चीन की ओर से भू-राजनीतिक दबाव: चीन भूटान के साथ औपचारिक राजनयिक और आर्थिक संबंध स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है और भूटान पर सीमा के सीमांकन को अंतिम रूप देने के लिए दबाव डाल रहा है। तिब्बत में चीन की सड़क और रेलवे विस्तार योजनाएं (जैसे, ल्हासा-शिगात्से लाइन का यातुंग तक विस्तार) भारत के भौगोलिक लाभ को कम कर रही हैं।
- डोकलाम दुविधा: सीमा विवाद सुलझाने हेतु चीन का दीर्घकालिक "पैकेज डील" प्रस्ताव भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाता है। इसके अंतर्गत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डोकलाम पठार का नियंत्रण सौंपने का प्रस्ताव किया गया है।
- आर्थिक धारणाएँ: कुछ भूटानी लोग भारत के प्रभुत्व को शोषणकारी मानते हैं। आलोचकों का तर्क है कि भारत की सहायता अक्सर "रोजगार विहीन विकास" पैदा करती है और सहायता का एक बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियों के पास वापस चला जाता है।
- जलविद्युत वित्तपोषण की शर्तें: जलविद्युत परियोजनाओं के लिए भारत के बदलते वित्तपोषण मॉडल के संबंध में भूटान में घरेलू आलोचना बढ़ रही है।
- पहले अनुदान–ऋण का अनुपात 60:40 था, किंतु हाल ही में यह उलट गया है, जिसमें ऋण (अक्सर उच्च ब्याज दरों पर) वित्तीय सहायता का 60-70% हिस्सा है। इससे भारत के उद्देश्यों पर सवाल उठ रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत-भूटान संबंध साझा आध्यात्मिक विरासत और गहरे आपसी विश्वास पर आधारित एक अनूठी साझेदारी को दर्शाते हैं। इस साझेदारी को ऐतिहासिक रूप से 1949 की संधि और इसके संशोधित 2007 के संस्करण द्वारा सुदृढ़ किया गया है। हाल की यात्राएं भारी वित्तीय प्रतिबद्धताओं और महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजनाओं के माध्यम से एक दृढ़ और वास्तविक भागीदार बने रहने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।