प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) {PRADHAN MANTRI FASAL BIMA YOJANA (PMFBY)} | Current Affairs | Vision IAS
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) {PRADHAN MANTRI FASAL BIMA YOJANA (PMFBY)}

23 Dec 2025
1 min

In Summary

सरकार ने फसल बीमा को बढ़ाने के लिए पीएमएफबीवाई में संशोधन किया, जिसमें जंगली जानवरों के हमलों के लिए कवरेज शामिल करना, धान की खेती में बाढ़ से होने वाले नुकसान के लिए सहायता को फिर से शुरू करना और किसानों द्वारा समय पर रिपोर्टिंग और राज्य द्वारा जोखिमों की पहचान पर जोर देना शामिल है।

In Summary

सुर्ख़ियों में क्यों? 

हाल ही में, सरकार ने प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: PMFBY) के लिए संशोधित ढांचा जारी किया है। 

योजना के मुख्य उद्देश्य  योजना की मुख्य विशेषताएं
  • अप्रत्याशित घटनाओं के कारण फसल क्षति या हानि से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता एवं समर्थन प्रदान करना।  
  • किसानों की आय को स्थिर करना और खेती में निरंतरता सुनिश्चित करना।
  • किसानों को आधुनिक एवं नवोन्मेषी कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।  
  • फसल विविधीकरण सुनिश्चित करना।
  • मंत्रालय: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय।  
  • प्रारंभ: 2016 
  • प्रकार: केंद्रीय क्षेत्रक की एक योजना  
  • कार्यान्वयन एजेंसी: कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (DAC&FW), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) और संबंधित राज्य। 
  • पात्रता: अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलों की खेती करने वाले सभी किसान, जिनमें किरायेदार किसान एवं बटाईदार भी शामिल हैं।  
  • उद्देश्य: अचानक, स्थानीय और गंभीर फसल क्षति के विरुद्ध किसानों के लिए सुरक्षा को मजबूत करना। 
  • किसानों द्वारा देय प्रीमियम: 
    • खरीफ फसलें: बीमित राशि का 2%  
    • रबी फसलें: बीमित राशि का 1.5% 
    • वाणिज्यिक और बागवानी फसलें: बीमित राशि का 5%  
    • प्रीमियम और किसानों द्वारा देय बीमा शुल्क की दर के बीच का अंतर सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है और केंद्र तथा राज्य द्वारा समान रूप से साझा किया जाता है। 
    • खरीफ 2020 से उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए अनुपात 90:10  
  • फसलों की कवरेज: खाद्य फसलें (अनाज, मोटे अनाज, दालें), तिलहन, वार्षिक वाणिज्यिक/ बागवानी फसलें 
  • कवर किए गए जोखिम 
    • उपज की हानि (खड़ी फसलें): प्राकृतिक आग, तूफान, चक्रवात, बाढ़, सूखा, कीट और बीमारियों के कारण।  
    • कम वर्षा की स्थिति के कारण बुवाई/ रोपण/ अंकुरण में रुकावट के कारण आने वाले जोखिम। 
    • फसल कटाई के बाद नुकसान: चक्रवाती/ बेमौसम बारिश के विरुद्ध कटी और फैली स्थिति में छोड़ी गई फसलों के लिए कटाई के 14 दिनों तक कवर करता है। 
    • स्थानीयकृत आपदाएं: विशिष्ट खेतों को प्रभावित करने वाले ओलावृष्टि, भूस्खलन और जलप्लावन (inundation) को कवर करता है। 
  • कौन शामिल नहीं होगा: युद्ध और परमाणु जोखिमों, दुर्भावनापूर्ण क्षति और अन्य रोकथाम योग्य जोखिमों से उत्पन्न हानि। 
  • शुरू किए गए प्रमुख परिवर्तन (खरीफ 2026 से प्रभावी होने वाले) 
    • नए कवरेज: जंगली जानवरों के हमलों के कारण फसल के नुकसान को स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के तहत 5वें ऐड-ऑन कवर के रूप में शामिल किया गया है।
      • किसानों को हाथियों, जंगली सूअरों, नीलगाय, हिरण और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के हमलों के कारण फसल का नुकसान उठाना पड़ता है, जो विशेष रूप से जंगलों, वन्यजीव गलियारों और पर्वतीय क्षेत्रों के निकट स्थित क्षेत्रों में आम है। 
    • पुनः शुरू की गई सुरक्षा: धान के जलप्लावन को पुनः स्थानीयकृत आपदा कवरेज के रूप में शामिल किया गया है इसे 2018 में हटा दिया गया था। 
    • राज्य-स्तरीय पहचान: राज्य फसल क्षति के लिए जिम्मेदार जंगली जानवरों की सूची अधिसूचित करेंगे और ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर संवेदनशील जिलों या बीमा इकाइयों की पहचान करेंगे। 
    • अनिवार्य रिपोर्टिंग: किसानों को जियो-टैग की गई तस्वीरें अपलोड करके फसल बीमा ऐप के माध्यम से 72 घंटों के भीतर नुकसान की रिपोर्ट करनी होगी।  
Title is required. Maximum 500 characters.

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