इस संहिता के तहत मौजूदा नौ सामाजिक सुरक्षा कानूनों को सम्मिलित किया गया है।
- उद्देश्य: असंगठित, गिग (gig) और प्लेटफॉर्म श्रमिकों सहित सभी श्रमिकों तक सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना।
प्रमुख प्रावधान:
- गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक तथा समूहक (एग्रीगेटर): इन्हें पहली बार कानूनी रूप से परिभाषित किया गया है।
- एग्रीगेटर सामाजिक सुरक्षा कोष में अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% (श्रमिकों को किए गए भुगतान का अधिकतम 5%) योगदान करेंगे।
- ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा) कवरेज का विस्तार: ESIC अब पूरे भारत में लागू है। इससे "अधिसूचित क्षेत्रों" का मानदंड समाप्त हो गया है।
- 10 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान नियोक्ता और कर्मचारियों की आपसी सहमति से स्वेच्छा से इसे चुन सकते हैं।
- खतरनाक व्यवसायों के लिए कवरेज अनिवार्य होगा और इसे वृक्षारोपण श्रमिकों तक विस्तारित किया जाएगा।
- मजदूरी की एकसमान परिभाषा: "मजदूरी" में अब मूल वेतन, महंगाई भत्ता और प्रतिधारण भत्ता शामिल होंगे।
- कुल पारिश्रमिक का 50% (या अधिसूचित प्रतिशत) मजदूरी की गणना में जोड़ा जाएगा। इससे ग्रेच्युटी, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा लाभों की गणना में एकरूपता सुनिश्चित होगी।
- निश्चित अवधि के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी: निश्चित अवधि के कर्मचारी (FTE) एक वर्ष की निरंतर सेवा (पहले पांच वर्ष) के बाद ग्रेच्युटी के पात्र हो जाते हैं।
गुण (Merits) | दोष (Demerits) |
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